सिकंदराबाद: “हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. भारत सरकार की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ की पहल के अंतर्गत राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जा रहा है.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति निलयम में ‘भारतीय कला महोत्सव‘ को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों की सांस्कृतिक विविधता, उनके लोकनृत्य, संगीत, कला और पारंपरिक पहनावे हमारे देश की धरोहर हैं. सभी देशवासियों को इस क्षेत्र की परम्पराओं और समुदायों की जानकारी से और अधिक परिचित कराने की दिशा में यह महोत्सव एक प्रयास है. मुझे विश्वास है कि यह सांस्कृतिक उत्सव, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा.
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यह उत्सव सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का भी एक अवसर है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग अपने अतिथि-सत्कार, परिश्रम और उत्साह के लिए जाने जाते हैं. मैं जब भी वहां के राज्यों में गई हूं, मुझे लोगों का भरपूर स्नेह मिला है. पूर्वोत्तर की परंपराओं और प्रतिभाओं को आगे लाकर, आप सब इन राज्यों के कारीगरों, कलाकारों और समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं. उनकी प्रतिभा को व्यापक स्तर पर लोगों तक पहुंचाने तथा उनके विकास के नए अवसर पैदा करने के लिए एक मंच भी प्रदान कर रहे हैं. मुर्मु ने कहा कि इस वर्ष राष्ट्रपति भवन में, ‘विविधता का अमृत महोत्सव‘ आयोजित किया गया था. यह भारतीय कला महोत्सव उसी की अगली कड़ी है. उस उत्सव के दौरान हमने अपने देश की सांस्कृतिक विरासत के बारे में लोगों के उत्साह और जिज्ञासा को देखा था.