लुधियाना: प्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र गुजरांवाला और गुरु नानक खालसा कालेज लुधियाना ने एक साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें कनाडा वासी साहित्यकार गुरमीत सिंह सिद्धू के नवीनतम गजल संग्रह ‘पिंड से ब्रह्मांड’ का लोकार्पण हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाबी लोक विरासत अकादमी के प्रमुख प्रो गुरभजन सिंह गिल ने की. गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के पूर्व कुलपति और गुजरांवाला खालसा एजुकेशनल काउंसिल के अध्यक्ष डा एसपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि विदेशों में रहने वाले प्रवासी पंजाबी लेखक प्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र से जुड़े हुए हैं और केंद्र की गतिविधियों को देखते हुए साहित्यिक कार्यक्रम करने के लिए हमारी संस्था को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने इस पुस्तक के शीर्षक पर चर्चा करते हुए पिंड और ब्रह्मांड की अवधारणा, प्रवासियों के मानसिक और भौतिक संघर्ष पर विचार-विमर्श किया. प्रो गिल ने लेखक का परिचय देते हुए कहा कि गुरमीत सिंह सिद्धू जालंधर करतारपुर के पिंड कुड्डोवाल के निवासी हैं और 1993 से कनाडा में रह रहे हैं. उन्होंने अपना साहित्यिक सफर जसवंत सिंह कंवल की प्रेरणा से गीतकार के रूप में शुरू किया और फिर सरी के गजलकारों राजवंत राज, कविंदर चाद और कृष्ण भनोग की अगुवाई में पिंगल और अरूज को समझकर 2018 में गजलें लिखनी शुरू कीं. उन्होंने कहा कि यह गजल संग्रह लेखक की लगभग डेढ़ दशक की साहित्य साधना का परिणाम है.
पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व महासचिव डा गुरुइकबाल सिंह ने आलोचनात्मक दृष्टि से विमर्श करते हुए कहा कि लेखक के भीतर काफी गहराई तक उनका पिंड बसा हुआ है, इसीलिए इन गजलों में पंजाबी रहन-सहन बार-बार अभिव्यक्त होता है. उन्होंने कहा कि इन गजलों में सूफी कविता, किस्सा कविता और रहस्यवाद की झलक देखने को मिलती है. पंजाबी के प्रसिद्ध कवि और पंजाबी साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष त्रैलोचन लोची ने इस पुस्तक की एक गजल ‘किताबों में अक्षर जल रहे दीपमाला की तरह’ स्वर में श्रोताओं को सुनाई. इस मौके पर पंजाब सरकार के संयुक्त निदेशक-लोक संपर्क हरजीत सिंह गरेवाल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने प्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र द्वारा पिछले 12 वर्षों के दौरान किए गए साहित्यिक कार्यों की सराहना की. पंजाबी विभाग की प्रमुख प्रो शरणजीत कौर ने औपचारिक रूप से सभी का धन्यवाद किया और लेखक को पुस्तक लोकार्पण के लिए बधाई दी. इस मौके पर हरशरण सिंह नरूला, अमरजीत सिंह शेरपुरी, प्रो रजिंदर कौर मल्होत्रा, डा दलिप सिंह, डा गुरप्रीत सिंह, डा सुषमिंदरजीत कौर और डा भुपिंदरजीत कौर सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी श्रोता और छात्र उपस्थित थे. संचालन प्रवासी साहित्य अध्ययन केंद्र की समन्वयक डा तजिंदर कौर ने किया.