नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादेमी ने अपना सर्वोच्च सम्मान साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक और विद्वान रस्किन बांड को प्रदान की है. बांड की अस्वस्थता के चलते यह सम्मान मसूरी स्थित उनके घर पर साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने प्रदान किया. इस अवसर पर बांड के पुत्र भी उपस्थित थे. याद रहे कि 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में जन्मे रस्किन बांड पिछले 5 दशक से अधिक समय से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं. आपने साहित्य की कई विधाओं में रचना कर्म किया है. आपकी आरंभिक कृतियों में कहानी संग्रह तथा उपन्यास के साथ-साथ कुछ आत्मकथात्मक कृतियां भी शामिल हैं. बाद में आपने कथेतर, रोमांस तथा बाल पुस्तकों की रचना भी की. बांड की कृतियों का अनुवाद हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में हो चुका है. आपकी प्रिय विधा निबंध तथा कहानी है. आपकी उल्लेखनीय कृतियों में ‘वैग्रन्ट्स इन द वैली‘, ‘वन्स अपान ए मानसून टाइम‘, ‘एंग्री रिवर‘, ‘स्ट्रेंजर्स इन द नाइट‘, ‘आल रोड्स लीड टू गंगा‘, ‘टेल्स आफ फोस्टरगंज‘, ‘लेपर्ड ऑन द माउंटेन‘ तथा ‘टू मच ट्रबल‘ शामिल हैं.
बांड की कई कृतियों पर हिंदी और अंग्रेजी में फिल्में भी बनी हैं. 1978 की हिंदी फिल्म ‘जुनून‘ रस्किन के ऐतिहासिक उपन्यास ‘ए फ्लाइट आफ पिजन्स‘ 1857 के भारतीय विद्रोह पर आधारित है. आपकी कहानियों का रूपांतरण टीवी धारावाहिक ‘एक था रस्टी‘ के नाम से दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया. आपकी कई कहानियों ‘द नाइट ट्रेन ऐट देओली‘, ‘टाइम स्टाप्स ऐट शामली‘ तथा ‘आवर ट्रीज स्टिल ग्रो इन देहरा‘ को भारत के विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. 2005 में,आपके लोकप्रिय बाल उपन्यास ‘द ब्लू अम्ब्रेला‘ पर फिल्म बनाई गई. आपने 2011 में विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित फिल्म ‘7 खून माफ‘ में एक छोटी भूमिका की थी, जो आपकी कहानी ‘सुसन्नाज सेवन हसबैंड‘ पर आधारित है. आपके कहानी-संग्रह ‘आवर ट्रीज स्टिल ग्रो इन देहरा‘ के लिए आपको 1992 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. आपको भारत सरकार द्वारा 1999 में पद्मश्री तथा 2019 में पद्म भूषण, साहित्य अकादेमी द्वारा बाल साहित्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.