लखनऊ: स्थानीय अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में ‘किताब उत्सव‘ शुरू हो चुका है. राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित इस मेले के बारे में कथाकार- सम्पादक अखिलेश ने कहा कि यह एक ऐसा उत्सव है जो आपको खुशी तो देता ही है और आपको समझ भी देता है. कात्यायनी ने कहा कि पढ़ने की संस्कृति को बढ़ाने के लिए यह आयोजन एक सराहनीय और स्वागत योग्य कदम है. उपन्यास ‘अल्लाह मियां का कारखाना‘ के लेखक मोहसिन खान ने कहा कि किताबें हमारे लिए बेहद जरूरी होती हैं. मैं दुआ करता हूं कि किताब उत्सव की आवाज बहुत दूर तक जाए. रूपरेखा वर्मा ने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा यह आयोजन जिस दौर में किया जा रहा है उसमें किताबों की चिंता कोई नहीं करता. हमें हमेशा किताबों की ओर लौटना चाहिए. आलोचक वीरेन्द्र यादव ने कहा कि आज के दौर में पुस्तकों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में यकीनन यह सराहनीय प्रयास है.
वन्दना मिश्र ने कहा कि यह शहर मुंशी नवल किशोर का शहर है. जिसने इतिहास बनाया है यह उसका शहर है. लखनऊ हमेशा से ही किताब प्रेमियों का शहर रहा है. किताबें हमें तो बदलती ही हैं, बल्कि पूरी दुनिया को बदलती हैं. जैसे गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि ने एक मानक तय किया.
रमेश दीक्षित ने कहा कि किताबों की वजह से ही मैं बोलना सीख पाया. राजकमल ने विभिन्न विषयों की किताबें छापकर बहुत बड़ा काम किया है. किताबों को पढ़ने का सिलसिला हमेशा चलता रहा है और चलता रहेगा. वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि किताब में शब्द होते हैं, शब्द मरा नहीं और शब्द मरेगा नहीं. कविता जब बोलती है तो चोट करती है. अगर किताबों से कुछ होता नहीं है तो उसे जलाया क्यों जाता है? जब तक मनुष्य हैं, शब्द बचे रहेंगे. फेसबुक कोई संकट नहीं, बल्कि ताकत है. उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन राजकमल प्रकाशन के सीईओ आमोद महेश्वरी ने दिया.