नऊ: संवादी के ‘राजनीति का मैजिक‘ सत्र में शहजाद पूनावाला से 20 साल की मित्रता और शाजिया इल्मी से कानपुर का पड़ोसी होने का नाता निकालते हुए वरिष्ठ पत्रकार मनोज राजन त्रिपाठी ने पहला सवाल शहजाद पूनावाला से पूछा कि क्या सोचकर राजनीति की दरिया में आए? शहजाद ने कहा कि कांग्रेस में रहते हुए महसूस हुआ कि यहां एक व्यक्ति एक परिवार के लिए सेवा देनी है. यह राजनीति का मैजिक ही है कि जहां हम कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक परिवार के अलावा कोई प्रधानमंत्री बनेगा, वहां पर एक चायवाले का बेटा न केवल प्रधानमंत्री बनता है, बल्कि पूरी दुनिया जी-20 में हमारी ओर देखती है, जो बाइडन भी यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध रोकने के लिए दोनों देशों से बात नहीं कर पाते हैं, वहां भारत खड़ा होता है. यह इस मैजिक का ही असर है जो परसों तक रोम-रोम करते थे आज कमंडल लेकर राम-राम करने लगे हैं. शाजिया इल्मी से आदर्शवादिता और बेवकूफी के बीच के अंतर को अन्ना आंदोलन से जोड़ते हुए सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आदर्शवाद और बेवकूफी के बीच की लकीर बहुत महीन है. मैंने प्रधानमंत्री को लालकिले से सुना कि बेटियां जब देर से घर आती हैं तो लोग सवाल पूछते हैं, बेटा जब देर से आए तो उससे कोई कुछ नहीं पूछता.
इल्मी ने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बेटियों और स्वच्छता की बात की. उन्होंने कहा कि आज मैं आम आदमी पार्टी में होती तो जेल में होती. त्रिपाठी ने इल्मी से पूछा कि क्या आपको लगता है कि मुसलमान महिलाओं को आजादी है कि वह शिल्पा की तरह रह सकें? शाजिया ने कहा कि जब 13-14 साल की बच्चियों को बुरका पहनाया जाता है तो वह उनकी मर्जी से नहीं. तथाकथित सेकुलर पार्टियां चाहती हैं कि मुसलमान के एक हाथ में कट्टा दूसरे में पत्थर हो. भाजपा में मुसलमानों का नुकसान हुआ है, फायदा हुआ है या फिर एक खाली जगह दिखी क्या सोचकर आए थे? के उत्तर में पूनावाला ने कहा कि भाजपा में आने का कारण यह है कि कोई भी मुझे भाजपा में मुसलमान के रूप में देखता ही नहीं है. मुस्लिम भी चाहता है कि प्रति व्यक्ति आय बढ़े, एयरपोर्ट बढ़ें. बात राजनीति के मैजिक की चल रही है लेकिन बात मोदी मैजिक ज्यादा लग रही है. कहते हुए मनोज राजन त्रिपाठी ने शाजिया से पूछा कि इंदिरा गांधी को आप कैसा नेता मानती हैं? जवाब आया कि इंदिरा गांधी को मैं स्वतंत्र लेकिन दबंग नेता मानती हूं. लेकिन इंदिरा जी के नाम के साथ गांधी न होता तो वह देश की प्रधानमंत्री न होतीं. अगला सवाल शहजाद के लिए था कि जवाहर लाल नेहरू ने देश के लिए क्या-क्या दिया? जवाब मिला प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक के योगदान को सभी मानते हैं. लेकिन किसी का योगदान स्वीकारते हैं तो कमियों पर विश्लेषण भी होना चाहिए.