नई दिल्ली: “मैंने अफगानिस्तान को बहुत खुशहाल दिनों में देखा है. जब पंडित जी वहां आये तो मैं स्वयं वहां नहीं गया. मेरा छोटा भाई वहां गया और उस समय महल की महिलाएं पर्दा से बाहर आ गईं क्योंकि उन्होंने कहा कि भारत एक भाई देश है और जो प्रधान मंत्री आ रहे हैं वह हमारे भाई हैं, इसलिए भाई के साथ कोई पर्दा नहीं हो सकता. यह पहली बार हुआ था कि महल की महिलाएं पर्दे से बाहर आईं और भोज में शामिल हुईं. वह बहुत खुशहाल देश था. मैं वहां कई बार गया था. समस्या शुरू होने से पहले आखिरी यात्रा 1975 में हुई थी.” यह बात अनुभवी पत्रकार और एशियन न्यूज इंटरनेशनल के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश ने अपनी पुस्तक ‘अफगानिस्तान: द क्वेस्ट फॉर पीस, द पाथ ऑफ वॉर्स‘ के लोकार्पण के दौरान कही. उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान की मुद्रा भारतीय मुद्रा से बेहतर थी क्योंकि रुपए ने पहले ही मूल्य खोना शुरू कर दिया था. 75 तक आते-आते यह काफी खराब स्थिति में हो गया था, जबकि अफगानी मुद्रा की स्थिति रुपए से बेहतर थी. फिर अफगान बहुत चतुर व्यापारी होते हैं. दुनिया में बहुत से लोग यह नहीं जानते कि अफगानी पैसे का लेन-देन करने वाले पहले लोग थे.”
पुस्तक विमोचन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि राजनयिक, राजनीतिज्ञ और लेखक पवन के वर्मा उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य विमोचन नहीं था, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति का अभिनंदन है, जो अपने जीवनकाल में एक संस्था बन गया है. पूर्व राजनयिक ने कहा कि यह पुस्तक एक गूढ़ विद्वतापूर्ण विश्लेषण पर कम और अफगानिस्तान में विभिन्न अवधियों में स्थिति कैसे विकसित हुई, इस पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक एक देश को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो एक रणनीतिक पड़ोसी भी है. उन्होंने कहा कि अंदरूनी सूत्र के दृष्टिकोण से अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ उसके विकास के बारे में उनसे अधिक हमारी पत्रकारिता जगत में मेरा विश्वास है. प्रकाश की रिपोर्टिंग की शैली जमीनी स्तर की थी. जब वह वहां यात्रा कर रहे थे तो उनकी जान खतरे में थी, गोलियां उनकी कार से होकर गुजर गईं. एक समय उन्हें गजनी न जाने की सलाह दी गई, लेकिन वे फिर भी गए. उन्होंने ग्राउंड से रिपोर्ट की. उनकी मुलाकात नजीबुल्लाह से हुई. लेखक प्रेम प्रकाश ने अपनी लेखकीय और पत्रकारिता यात्रा के अनुभव भी साझा किए और बताया कि किस वजह से उन्होंने एक समाचार एजेंसी बनाई और किताब लिखने का विचार कैसे आया. प्रभा खेतान फाउंडेशन ने किताब शृंखला के तहत इस पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया था.