लखनऊ: “भोजपुरी साहित्य और सिनेमा, खासकर इतिहास लेखन के लिए पहली बार किसी फिल्म अवार्ड शो में सम्मान मिला है, जबकि दो दशक से भी अधिक समय से मैं इस इंडस्ट्री से जुड़ा हूं.” भोजपुरी लेखक, समीक्षक और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक ने यह बात फिल्मफेयर एवं फेमिना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘भोजपुरी आइकॉन्स- रील एंड रीयल स्टार्स‘ समारोह में सम्मानित होने के बाद कही. इस अवसर पर पद्मभूषण शारदा सिन्हा को लोक संगीत के लिए, संजय मिश्रा को प्राइड ऑफ भोजपुरी मिट्टी, मनोज तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और रवि किशन को ओटीटी और सिनेमा के लिए सम्मानित किया गया. मनोज भावुक को भोजपुरी साहित्य व सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान फेमिना की प्रधान संपादक अंबिका मट्टू व दक्षिण के निर्देशक विक्रम वासुदेव द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया. मनोज भावुक ने भोजपुरी में गजल संग्रह ‘तस्वीर जिदंगी के‘ और भोजपुरी कविता-संग्रह ‘चलनी में पानी‘ से खास पहचान बनाई. वे भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर पिछले 25 वर्षों से लिख रहे हैं.
अपनी पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार‘ में मनोज ने 1931 से लेकर 2019 तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर की बात की है. भावुक ने ‘सौगंध गंगा मईया के‘ और ‘रखवाला‘ नामक फिल्म में भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है. मनोज बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय पटना के टॉपर रहे हैं. ‘मेंहदी लगा के रखना‘ नामक फिल्म के लिए लिखा मनोज का गीत ‘अंचरा छोड़ा के चल काहे दिहले एतना दूर ए माई …‘ काफी लोकप्रिय रहा. इस सम्मान को एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए मनोज भावुक कहते हैं कि आखिरकार भोजपुरी इंडस्ट्री फ़िल्म फेयर और फेमिना तक पहुंच गई. कई बड़े आयोजक और स्टार्स मेरे काम को जानते हैं लेकिन यहां कलम की कीमत नहीं है. हालांकि मैं तो कलम के साथ कैमरा वाला भी हूं. भोजपुरी इंडस्ट्री का शायद ही कोई बड़ा कलाकार होगा जिसका मैंने साक्षात्कार नहीं किया हो. इस सम्मान के लिए मैं आयोजकों का शुक्रगुजार हूं. मेरा यह सम्मान भोजपुरी भाषा व भोजपुरी भाषियों को समर्पित है.