गोरखपुरः नाथ पंथ और पतंजलि के समृद्ध साहित्य और दर्शन को आने वाली पीढ़ी जान सके और जनमानस इसकी खूबियों से परिचित हो सके इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में नाथ पंथ और पतंजलि से जुड़े साहित्य और दर्शन को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र और हिंदी विभाग में नाथ पंथ व गोरखनाथ नाम के पाठ्यक्रम का सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स को संचालित करने का फैसला किया है. विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह के अनुसार नाथ पंथ का साहित्य अत्यंत समृद्ध है. लेकिन इसे लोगों तक पहुंचाने को कोई अकादमिक प्रयास पहले नहीं हुआ है. विश्वविद्यालय ने नाथ पंथ और गोरखनाथ को लेकर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स चलाकर इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है. विश्वविद्यालय संस्कृत के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में भी नाथपंथीय संस्कृत साहित्य पढ़ाने की तैयारी है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी और संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपक प्रकाश त्यागी के अनुसार विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर हिंदी के दूसरे सत्र में कबीर व तुलसी के साथ गोरखनाथ पहले से ही पढ़ाए जाते हैं. लेकिन इसमें नाथ पंथ का दार्शनिक पक्ष अछूता रह जाता है. ऐसे में नाथ पंथ के दार्शनिक पक्ष को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हिंदी और दर्शनशास्त्र विषय में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स को शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि स्नातकोत्तर संस्कृत के चतुर्थ सत्र में इसे अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने के लिए पाठ्यक्रम समिति की स्वीकृति मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि इस विषय को बीए, एमए फोर प्लस वन पाठ्यक्रम में भी शामिल करने की तैयारी है. गोरखपुर विश्वविद्यालय वह पहला विश्वविद्यालय है जो नाथपंथीय संस्कृत साहित्य को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने जा रहा है. पतंजलि योग एवं नाथ दर्शन के इस विषय में विद्यार्थियों को चार यूनिट मिलेंगे. दो यूनिट में गोरख नाथ का दर्शन और दो यूनिट में पतंजलि दर्शन शामिल है.