रुद्रपुर : राष्ट्रगान के रचयिता नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर की 162 वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्थानीय ट्रांजिट कैंप विवेकानंद पार्क में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मेयर रामपाल सिंह, भारत भूषण चुग, उत्तम दत्ता, ओमियों विश्वास ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया. मयंक शर्मा के सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ. नाजिया सहरी ने शायरी से आगाज किया, ‘हमने आप की खातिर जमाने से दुश्मनी ली है, आप हमें गैरों में क्यों शुमार करते हैं.’ डॉ कमलेश बसंत ने सुनाया, ‘देह पूरी लड़ी बस मिली बोटियां, इस शहादत में खेली गईं गोटियां. तेरे घर पे चूल्हा जला बीस दिन, पर सियासत में सेकीं गई रोटियां.’ डॉ सुरेंद्र जैन ने सुनाया ‘युद्ध में दक्ष वीर सिंह की गर्जना ही, बिम्ब व प्रतीक चिन्ह होती पहचान की. ‘

लटूरी लट्ठ ने हंसाने के साथ ही अपनी व्यंग्य रचना से चिंतन के लिए भी बाध्य किया, ‘प्रेम संदेशा हाथ ले, आंगन खड़ा बसंत. शकुंतला है बाग में, ठेके पर दुष्यंत.’ मयंक शर्मा ने सुनाया ‘उन्नत मां का भाल करें जो उनका वंदन होता है, बलिदानी संतानों का जग में अभिनंदन होता है, माटी में मिलकर ख़ुशबू उस नील गगन तक छोड़ गए, ऐसे वीरों की धरती का कण-कण चंदन होता है.’ हास्यकवि डॉ जयंत शाह ने पढ़ा ‘नाउम्मीद से जो गुजरा है उम्मीद जगाता है वही, खेला है जिसने लहरों से पार लगाता है वही, इतना आसान नहीं तमाशबीन बनना इस जहां में, आंसू की कीमत जो जानता है मुस्कुराता है वही.’सम्मेलन में पवन बांके बिहारी और आशीष आनंद ने भी अपनी रचनाओं से खूब गुदगुदाया. संचालन कमलेश जैन बसंत ने किया. कार्यक्रम में जीवन राय, संजय ठुकराल, परिमल राय, दिलीप अधिकारी, 31 वाहिनी के उप सेननायक विमल आचार्य, तरूण दत्ता, सुबीर दास, विजय अधिकारी, विकास राय, पंकज दासगुप्त, मनोज राय, प्रोनांति साहा, प्रदीप साहा, संजय साहा, शुभम दास अमित गौड़ आदि उपस्थित थे.