गाजियाबादः स्थानीय गान्धर्व संगीत महाविद्यालय तथा साहित्यिक संस्था 'काव्य कलश' के संयुक्त तत्वावधान में कविता सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह संपन्न हुआ. इस अवसर पर राज कौशिक और ऋषि कुमार शर्मा को सम्मानित किया गया. शर्मा ने अपने उदबोधन में कहा कि कवि समाज को आईना दिखाने का काम करता है. कवि अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में चेतना, जागरुकता और सजगता लाता है. सम्मान समारोह के बाद काव्य पाठ का आयोजन किया गया. पत्रकार एवं कवि राज कौशिक ने सुनाया-

मिला जो उससे मुझे यूं वो घाव ज़्यादा था
कि उससे मुझको भी थोड़ा लगाव ज़्यादा था
मैं उन दिनों में ही ज़्यादा बिका हूं औरों से
कि जिन दिनों मेरा औरों से भाव ज़्यादा था

डॉक्टर सतीश वर्द्धन ने पढ़ा-
महके महके से गुलाबों में मिलूंगा तुमको
नींद आएगी तो ख्वाबों में मिलूंगा तुमको.
इतना मशहूर हुआ तुमसे मोहब्बत करके
मर गया मैं तो किताबों में मिलूंगा तुमको.

डॉक्टर तारा गुप्ता ने पढ़ा-
बड़े बदलाव की तैयारियों का यह जमाना है
हमें तो प्रेम की मिट्टी से बस एक घर बनाना है
यूं तिरछी आंख करने से निशाना चूक जाता है
निगाहें सामने रखना अगर मकसद को पाना है.

अनिल बाजपेयी ने पढ़ा- पिता शब्द इतना बड़ा जैसे अम्बर व्योम. अनिल अनूठा मंत्र ये जैसे पावन ओम. सुनहरी लाल वर्मा ने अपनी रचना में सकारात्मक सोच का संदेश दिया-
हम तो रोतों को घड़ीभर में हंसा लेते हैं
जैसे मछुआरे मछलियों को फंसा लेते हैं
कोई जलता है तो जलता रहे जलन लेकर
हम जहन्नुम में भी जन्नत का मज़ा लेते हैं.

राज चैतन्य ने पढ़ा-
प्यार को हम प्यार से प्यार का सिला देते हैं
सर्वे भवन्तु सुखिनः में सारा जग मिला देते हैं
जानते हैं ज़हर ही बनेगा, उनके कण्ठ में जाकर,
मान देकर हम, नागों को भी दूध पिला देते हैं.

रामवीर आकाश ने पढ़ा-
आज की रात सितारों को जगाये रखना
अपनी पलकों पे मेरी याद बसाये रखना
रात भर जाग के ढूंढा है सितारों में तुम्हें
अपनी आंखों को पता मेरा बताये रखना.