नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी ने अपनी प्रतिष्ठित प्रेमचंद महत्तर सदस्यता बांग्ला देश के प्रख्यात लेखक और अनुवादक प्रोफेसर सफिकुन्नबी सामादी को अर्पित की. साहित्य अकादेमी के तृतीय तल स्थित सभाकक्ष में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह महत्तर सदस्यता साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा प्रदान की गई. कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने सफिकुन्नबी सामादी का स्वागत करते हुए प्रशस्ति-पाठ किया. अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में माधव कौशिक ने कहा कि मानचित्र पर जितनी भी सीमाएं हो लेकिन साहित्य हर सीमा के प्रतिबंध से स्वतंत्र होता है. साहित्य ही इंसान को इंसान से जोड़ता है. अतः आज सफिकुन्नबी सामादी का सम्मानित होना उस संवेदना का सम्मान है जो बिना सीमा के हमसब के दिलों में संचारित होती है. हमें सफिकुन्नबी सामादी को ऐसा विश्व नागरिक मानना चाहिए जो दो देशों के बीच की संवेदनाओं को आपस में जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. अपने स्वीकृति वक्तव्य में प्रो सफिकुन्नबी सामादी ने कहा कि मैं भारतीय उपमहाद्वीप को जोड़ना चाहता हूं और यह काम भाषाओं के जोड़ने से ही संभव होगा. हिंदीउर्दू में अनुवाद के जरिए मैं पहले घरफिर पड़ोस और फिर दुनिया को जोड़ने का काम करना चाहता हूं. मैं जब अनुवाद करता हूं तो मैं एक संस्कृति को अनूदित करता हूं. मैं मानता हूं कि यह काम धीरे-धीरे एक कारवां का रूप लेगा और इस महाद्वीप की सभी संस्कृतियां आपस में मेल-मिलाप की तरह अग्रसर होंगी.

ज्ञात हो कि सफिकुन्नबी सामादी का जन्म 27 अगस्त, 1963 को बांग्लादेश के नारायणगंज के सोनारगांव में हुआ. आपकी शैक्षणिक योग्यता में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से डीलिट् और पीएचडी की उपाधियों के अलावा जहांगीर नगर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातक (आनर्स) और स्नातकोत्तर की उपाधियां शामिल हैं. बांग्ला साहित्य में व्यापक रूप से प्रकाशित होने वाले प्रो. सामादी की अब तक मौलिक पुस्तकेंअनुवाद की 18 पुस्तकें और संपादित पुस्तकें प्रकाशित हैं. आपकी मौलिक पुस्तकों में कथासाहित्ये वास्तवता: शरतचंद्र और प्रेमचंदनज़रूलेर गान: कवितार स्वादताराशंकरेर छोटोगल्प: जीवनेर शिल्पित सत्य और साहित्य-गवेषणा: विषय ओ कौशल शामिल हैं. आपकी बांग्ला की अनूदित रचनाओं में उर्दू और हिंदी की विविध साहित्यिक पुस्तकों से विभिन्न शैलियों में आच्छादित कविताएंनाटककहानियांउपन्यास और निबंध शामिल हैं. आपके कुछ उल्लेखनीय अनुवादों में गुलज़ार की त्रिवेणी और दो लोगप्रेमचंद की साहित्य का उद्देश्यधर्मवीर भारती की अंधायुगअजय शुक्ल की ताजमहल का टेंडर एवं द्वितीय अध्यायअमृता प्रीतम की चुनिंदा कहानियांगीतांजलि श्री की चुनिंदा कहानियांनिर्वाचित गल्प: इस्मत चुगताई और निर्वाचित कविता: किश्वर नाहिद शामिल हैं. हिंदी में अनूदित आपकी पुस्तक जन्मशतवर्ष की श्रद्धांजलि: बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को निवेदित सौ कविताएंराष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को उनकी जन्म शताब्दी के दौरान श्रद्धांजलि के रूप में प्रकाशित की गई थी. राजशाही विश्वविद्यालय में सन् 1988 से 35 वर्षों से अधिक समय से शिक्षण से जुड़े प्रो. सामादी ने बांग्ला विभाग में व्याख्याता से सहायक प्रोफेसरएसोसिएट प्रोफेसर और सन् 2002 से प्रोफेसर तक विभिन्न पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया है. वर्तमान में आप राजशाही विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. कार्यक्रम में रामकुमार मुखोपाध्यायसुरेश ऋतुपर्णमोहन हिमथाणीनसीब सिंह मन्हास आदि विभिन्न भाषाओं के लेखक एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे. संचालन उपसचिव एन सुरेशबाबु ने किया.