कानपुरः उत्तर प्रदेश के औद्योगिक महानगर की एक सर्द शाम गरमागरम गोष्ठी में बदल गयी, जब जागरण समूह के लक्ष्मीदेवी ललित कला अकादमी अशोक नगर में विजय किशोर मानव ने अपनी ग़जल, गीत व कविताओं से पूरी शाम को रसान्वित कर दिया. कानपुर के रसिक श्रोता अपने ही शहर के उस प्रिय कवि को सुनने पहुंचे थे, जिसने एक जमाने में गीतों, नवगीतों के विकास में अहम भूमिका निभाई. विजय किशोर मानव का एकल काव्यपाठ अकादेमी सभागार में आयोजित किया था. इस अवसर पर दिल्ली से संयोग से पधारे समालोचक, कवि एवं गीतकार डॉ ओम निश्चल भी संगोष्ठी में पधारे तो उन्हें भी उनके सान्निध्य का सुअवसर मिला. विजय किशोर मानव ने एक लंबी काव्ययात्रा तय की है तथा उनके 2 गीत संग्रह, एक गजल संग्रह व एक कविता संग्रह प्रकाशित हैं. उन्होंने कई कविताएं सुनाईं.
धूप तिरछी सुबह नदी छूती हिलती लहरों में ऐसे दिखती है
जैसे कोई शकुंतला लेटी अपने दुष्यंत को खत लिखती है…
से लेकर नए भाव बोध युक्त उनकी सुपरिचित गजल 'आना देखा जाना देखा एक मुसाफिरखाना देखा' को तालियों की विशेष सराहना मिली.
दौरे पर आए बाज़ों का
चिड़िया के घर खाना देखा.
हर झुग्गी में मिले सिपाही
ड्यूटी करता थाना देखा.
संत बेचते भोग-कथाएं
मंदिर में मयख़ाना देखा.
पिंजरे में उड़ गया पखेरू
रक्खा आबोदाना देखा.
प्रजातंत्र के इस जंगल में
क़ाबिज़ एक घराना देखा.
इसके साथ ही उनकी गजल-
बौने हुए विराट हमारे गांवों में बगुले हैं सम्राट हमारे गांवों में, को भी चाव से सुना गया. गांव घर छोड़ कर शहरों में गुम हो जानेवाली पीढ़ी को लेकर सुनाए उनके गीत ने लोगों की आंखें नम कर दी. इस अवसर पर डॉ ओम निश्चल ने कहा कि विजय किशोर मानव की रचनाएं अपने समय का आईना हैं. उनकी कविताओं मे बिम्बों की जो ताजगी और भावबोध की आधुनिकता है, वह अनन्य है. श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर ओम निश्चल ने अपना एक ललित गीत- एक ऐसी सुबह फिर मिले/ धूप गेंदे की मानिंद खिले- सुना कर तालियां बटोरीं. प्रारंभ में अकादमी के अधिकारी, कथाकार राजेंद्र राव ने मानव का स्वागत किया. डॉ कमल मुसद्दी के जीवंत संचालन एवं गीतकार विनोद श्रीवास्तव के कुशल संयोजन में आयोजित इस गोष्ठी में कानपुर के सुधी लेखकों, कवियों डॉ शिवकुमार दीक्षित, डॉ सुरेश अवस्थी, डॉ वीएन सिंह, डॉ एके दीक्षित, फारूक जायसी, रोमी अरोड़ा, डॉ दया दीक्षित, रेनु दीक्षित, विनोद श्रीवास्तव, डॉ अजित शुक्ल एवं वीरेन्द्र आस्तिक सहित कला, साहित्य व पत्रकारिता जगत से जुड़े लोग उपस्थित थे. जागरण इंस्टीटयूट आफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन के निदेशक डॉ एसपी त्रिपाठी ने मानव का 'मेरा पिया घर आया' कह कर स्वागत किया. लक्ष्मीदेवी ललित कला अकादमी की निदेशक डॉ शालिनी वेद ने मानव को स्मृति चिहृन देकर सम्मानित किया और आभार जताया.