नई दिल्लीः हाल के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद मनोहर पर्रिकर ही वह राजनेता थे, जिसके निधन पर साहित्य, कला और बौद्धिक जगत ने भी इतनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. गोवा में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजन के चलते फिल्म जगत का उनकी सादगी की तरफ झुकना और उनसे लगाव समझ में आता है, शायद इसीलिए समूचे फिल्म जगत ने उन्हें पूरी शिद्दत से याद किया. पर साहित्य जगत भी पीछे न था…सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी श्रद्धांजलि की बाढ़ सी आ गई थी. साहित्य जगत ने मराठी पत्रिका 'ऋतुरंग' के 2017 के दीवाली अंक के लिए मनोहर पर्रीकर द्वारा लिखे गए संस्मरणात्मक लेख को भी खूब याद किया और सुरेश चिपलूनकर द्वारा किए गए अनुवाद को भी अपने पेज पर शेयर किया. इसी क्रम में अमिताभ प्रियदर्शी की इस कविता पर्रिकर के प्रति अपना सम्मान इस तरह व्यक्त किया
मनोहर पर्रिकर को श्रद्धांजलि
वह चला गया मगर,
निशान छोड़ कर गया.
दिलों में बस गया, भले,
जहान छोड़ कर गया.
मनोहर तुम्हें कहें या,
कि कहें हम पर्रिकर.
हर हृदय की वेदना,
गयी यहाँ बिखर-बिखर.
एक भी नहीं मिला कि,
जो विरोध पर रहे.
पक्ष तो था पक्ष में ही,
विपक्ष में प्रिय स्वर रहे.
आज तुम विधान के,
विमान पर चढ़ चले.
पर राज-काज का यहां,
प्रतिमान गढ़ चले.
है नहीं जो तुम्हारे,
सामने खड़ा रहे.
लोभ-मोह छोड़ कर,
कोई भी अड़ा रहे.
राज में भी राज का,
मोह तुम रखे नहीं.
बेईमानी, धन-संपदा,
का स्वाद भी चखे नहीं.
एकदम सहज-सरल,
स्वभाव ले बने रहे.
देश के विधान पर,
अटल सदा तने रहे.
तुम भले चले गये,
दुखी दिलों में छोड़ कर.
अनंत को स्वीकार और
राह अपनी मोड़ कर.
पर हमने भी यहाँ तुम्हें,
बसा दिलों में है लिया.
दिन, माह और बरस,
जलेंगा यादों का दीया.
–अमिताभ प्रियदर्शी