नई दिल्लीः अपनी विशिष्ट प्रतिभा से पूरी दुनिया में भारतीय कला नृत्य का मान बढ़ाने वाले कथक सम्राट बिरजू महाराज के निधन से कला, साहित्य संस्कृति जगत में शोक की लहर दौड़ गई. महराज जी पद्म विभूषण से सम्मानित थे. उनका असली नाम पंडित ब्रजमोहन मिश्र था. पंडित बिरजू महाराज के निधन से भारतीय कला जगत ने अपने एक अनूठे कलाकार को खो दिया है.  पंडित जी या महाराज जी के उपनाम से लोकप्रिय रहे बिरजू महाराज को देश के शीर्ष कथक नर्तकों में से एक माना जाता रहा है. दशकों से वह कला जगत के सिरमौर रहे. महाराज परिवार से संबद्ध बिरजू महाराज के चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज भी कथक दुनिया की बड़ी शख्सियत थे. आपके पिता और गुरु अच्छन महाराज भी हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक के बड़े कलाकार थे. कथक नृत्य के जरिए सामाजिक संदेश देने के लिए बिरजू महाराज को हमेशा याद किया जाएगा. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भी इस महान कलाकार के निधन पर गहरा दुख जताया है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शब्दों मेंदिग्गज पंडित बिरजू महाराज का निधन एक युग के अंत का प्रतीक है. इसने भारतीय संगीत एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में बड़ा सा खालीपन ला दिया है. वह एक प्रतीक बन गए थे, जिन्होंने कथक को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए अतुलनीय योगदान दिया. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिखा, “भारतीय नृत्य कला को विश्व भर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति!”  याद रहे कि पंडित बिरजू महाराज ने 'देवदास', 'डेढ़ इश्किया', 'उमराव जान' और 'बाजी राव मस्तानी' जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था, तो सत्यजीत राय की चर्चित फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में संगीत दिया था. पंडित बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिला था. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और खैरागढ़ विश्वविद्यालय ने पंडित बिरजू महाराज को डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी. आपको कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान हासिल थे और आपके शिष्य दुनिया भर में कला जगत की शोभा बढ़ा रहे हैं.