लखनऊ: राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा लखनऊ के एल्डिको ग्रीन्स के एफल क्लब में नवगीत विमर्श पर एक दिवसीय आयोजन हुआ, जिसमें हिंदी के जाने माने रचनाकार एवं संस्थान के अध्यक्ष डॉ हरिओम के सान्निध्य में 'नवगीत का भविष्य एवं भविष्य का नवगीत' विषय पर एक चर्चा संगोष्ठी के साथ नवगीत पाठ का कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस दौरान एफल क्लब सभागार स्थानीय व बाहर के गीतकारों से भरा था. इस संगोष्ठी में नवगीतकार माहेश्वर तिवारी, डॉ इंदीवर, डॉ ओम निश्चल, ओम प्रकाश तिवारी व मधुकर अष्ठाना ने हिस्सेदारी की, वहीं एक विशेष आमंत्रित के रुप में पूर्णिमा बर्मन मौजूद थीं. वक्ताओं का मत था कि किसी भी विधा की रचना अपने फार्म के कारण नहीं, बल्कि कथ्य की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होती है.
दोपहर बाद दूसरे सत्र में माहेश्वर तिवारी, इंदीवर, रविशंकर पांडेय, डा सुरेश, राजेंद्र वर्मा, ओम प्रकाश तिवारी, रामशंकर वर्मा, शीला पांडेय, शोभा दीक्षित भावना, संध्या सिंह, रंजना गुप्ता, पूर्णिमा बर्मन, निर्मल शुक्ल, डॉ ओम निश्चल, श्याम नारायण श्याम, रश्मिशील, कैलाश निगम, जय चक्रवर्ती, राजेंद्र राज व केवल प्रसाद सत्यम सहित लगभग पैंतालीस नवगीतकारों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं. डॉ हरिओम ने अपने नए गजल अलबम की गजल सुना कर मन मोह लिया. इस नवगीत पाठ सत्र का संचालन हिंदी के सुपरिचित नवगीतकार जय चक्रवर्ती ने किया. गोष्ठी में गिरिजाशंकर दुबे, डॉ कैलाश निगम आदि अनेक रचनाकारों ने अपने नवगीत पढ़े. पूरे दिन चली यह चर्चा संगोष्ठी एक संजीदा विमर्श के साथ एक सरस गोष्ठी में बदल गयी जो देर शाम तक चलती रही.