नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी के ‘लेखक से भेंट’ कार्यक्रम में प्रख्यात लेखिका ममता कालिया पाठकों से रूबरू हुईं. कार्यक्रम का आरंभ साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव द्वारा अंगवस्त्रम एवं साहित्य अकादेमी की पुस्तक भेंट करके कालिया के स्वागत से हुआ. ममता कालिया ने अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि घर में सबसे छोटी होने के कारण मेरी बहुत सी जिज्ञासाओं के जवाब नहीं मिल पाते थे. साथ ही बड़ी बहन के बेहद सुंदर होने और मेरे सांवले रंग के कारण ही मुझे जगह-जगह अपमानित होना पड़ता था. ऐसे में अपना गुस्सा निकालने और अपने को विशेष कहलाने के लिए मैंने लेखन का सहारा लिया. मुझे साबित करना था कि मैं भी कुछ हूं. इस सब में मेरे पिता की किताबों ने मेरा बहुत साथ दिया. किताबें ऐसी मित्र होती है जो हमें चेतना देती हैं और कभी नीचा नहीं दिखाती. आगे उन्होंने बताया कि उनका प्रारंभिक लेखन अंग्रेजी में एम.ए. करने के कारण अंग्रेजी में ही था. लेकिन बाद में इलाहाबाद में रहते हुए उन्हें हिंदी में लिखने के लिए विवश होना पड़ा. इसमें मेरे पति रवींद्र कालिया का भी योगदान था.
ममता कालिया ने कहा कि लेखन ऐसी दुनिया है, जिसमें कोई नियम नहीं चलता. कभी-कभी हमारे किरदार ही हमें फेल कर देते हैं. वर्तमान लेखन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अब पठन-पाठन के कई नए माध्यम आ गए हैं और उनमें आपस में प्रतिस्पर्धा चल रही है. लेकिन आभासी मंचों पर संतुष्टि प्राप्त नहीं होती है. उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में अभी भी अध्ययनशीलता, सृजनशीलता और पाठन की परंपरा है. उन्होंने वर्तमान समय में अनुवाद की महत्ता के बारे में बात करते हुए कहा कि इससे हिंदी को वैश्विक मंच प्राप्त हो सकता है, लेकिन अभी हिंदी पुस्तकों के अनुवाद बहुत गंभीरता से नहीं किए जा रहे हैं. उन्होंने अपनी कुछ कविताएं और दो कहानियों का पाठ किया. उनकी कविताओं में जहां स्त्री का अकेलापन और रिश्तों का दरकना था. वहीं कहानियों में सेल्फी के दुष्परिणाम और मोबाइल पर अतिरिक्त निर्भरता को चित्रित किया गया था. कार्यक्रम के अंत में लेखिका ने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए. कार्यक्रम में रीतारानी पालीवाल, देवेंद्र राज अंकुर, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, सुजाता चौधरी, राजकुमार गौतम, अशोक मिश्र, यशोधरा मिश्र, गोपाल रंजन, बलराम, मोहन हिमथाणी, कमलेश जैन आदि कई प्रसिद्ध लेखक, आलोचक, संपादक एवं रंगकर्मी उपस्थित थे. संचालन एवं धन्यवाद अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया.