नई दिल्लीः दक्षिण एशिया के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, नवरस नौ मानवीय भावनाओं का प्रतीक है, जिसमें प्रेम, हँसी, करुणा, क्रोध, साहस, भय, घृणा, आश्चर्य और शांति शामिल हैं. नवरस उत्सव 2020 में एशियन लिटरेरी सोसाइटी ने इन्हीं भावनाओं को कला, संस्कृति और साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत किया. कोरोना वायरस महामारी के बावजूद लेखकों एवं कलाकारों ने 1 से 9 जुलाई के बीच ऑनलाइन माध्यम से आयोजित नवरस 2020 उत्सव में उत्साहपूर्वक भाग लिया. एशियन लिटरेरी सोसाइटी के संस्थापक एवं लेखक मनोज कृष्णन ने 'नवरस 2020 उत्सव' का उद्घाटन किया. अनीता चंद, किरण बाबल और डॉ स्वास्ति धर ने विभिन्न सत्रों का संचालन किया. कवि डॉ ओम निश्चल, डॉ लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, प्रताप सोमवंशी, ममता किरण ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. डॉ मृदुला टंडन, डॉ परीक्षित सिंह और सुदर्शन कचेरी से भी सभी रूबरू हुए. डॉ अमरेन्द्र खटुआ और युयुत्सु शर्मा ने आधुनिक दक्षिण एशियाई साहित्य विषय पर तथा कुमार विक्रम ने सांस्कृतिक संचार की चुनौतियों और महामारी के दौरान कविता और प्रकाशन की भूमिका पर चर्चा की.
नौ दिनों के इस उत्सव में सांतिनी गोविंदन, बीना पिल्लई, मीना मिश्रा और सुहैल माथुर की भारतीय कथा साहित्य पर चर्चा को भी श्रोताओं ने खूब सराहा. इसके साथ ही संगीता गुप्ता, ईशा दास, शिल्पी श्रीवास्तव और शकील अहमद के साथ लाइव सत्र ने भी दर्शकों की वाहवाही लूटी. इसके अलावा डॉ माधवी मेनन, अमृत वर्षा बरूआ, रिनी भारद्वाज, गौरी भारद्वाज और मीता नागपाल द्वारा नृत्य प्रस्तुत किए गए. वहीं गायकों में मणि सक्सेना, डॉ अपर्णा बागवे, डॉ चारु कपूर, ललिता अय्यर वैतेश्वरन, डॉ अपर्णा प्रधान, डॉ अर्चना टंडन और नीलेश सावंत ने अपनी प्रस्तुति दी. नवरस 2020 का एक आकर्षण ऑनलाइन कला प्रदर्शनी भी था, जिसमें भारत और विदेशों के चालीस से अधिक कलाकारों के उत्कृष्ट चित्रों को प्रदर्शित किया गया था. साथ ही वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, महोत्सव में अभिनंदन भट्टाचार्य, अमित दुबे, यश तिवारी और डॉ. अमिता परशुराम के लाइव सत्र को भी शामिल किया गया. सभी कलाकारों को मनोज कृष्णन द्वारा नवरस 2020 के अंत में सम्मानित किया गया. एशियन लिटरेरी सोसाइटी के नवरस 2020 उत्सव को दुनिया भर के दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और लोगों ने कोरोनो वायरस महामारी के समय की गयी इस पहल की सराहना की.