उज्जैनः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत की ओर से लगे उज्जैन पुस्तक-मेला में व्यंग्य पाठ का आयोजन हुआ. जिसमें कई व्यंग्यकारों ने अपनी रचनाएं सुनाईं. इनमें हरीश कुमार सिंह, सौरभ जैन, मुकेश जोशी, सुनीता शानू,अरविंद तिवारी, दिनेश दिग्गज, पिलकेन्द्र अरोड़ा शामिल थे. कार्यक्रम की शुरुआत इंदौर के सौरभ जैन से हुई. उन्होंने बड़ी मारक रचना सुनाई. दिनेश दिग्गज ने चुलबुले अंदाज में शेर को शेर रहने दो नामक रचना का पाठ किया. कुछ छोटी मगर असरदार व्यंग्य रचनाओं का पाठ दिनेश दिग्गज ने अपनी चिरपरिचित शैली में किया. उज्जैन के लोकप्रिय व्यंग्यकार डॉ हरीश कुमार सिंह ने अपनी व्यंग्य रचनाओं का पाठ बड़े सधे स्टाइल से किया. उन्होंने कहा कि व्यंग्य  प्रहार तो करता है लेकिन तिलमिला भी देता है. उन्होंने नजर-अपनी अपनी नामक रचना सु,नाकर श्रोताओं को हंसने को मजबूर कर दिया. मुकेश जोशी ने हिंदी वीक नामक रचना का पाठ किया, जो हिंदी पखवाड़े पर करारा तमाचा थी. सुनीता शानू ने अपनी चर्चित रचना मोबाइल का दुखड़ा सुना कर सभी की दुखती रग पर हाथ रख दिया. सुनीता शानू ने दो व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया. जिसमें गालियों के पुराण पर चिंता जाहिर की.

इस मौके पर पिलकेन्द्र अरोड़ा ने अपनी रचना 'अहा बाबा जीवन क्या है!' सुनाते हुए सभी का दिल जीत लिया. उन्होंने कहा कि आज व्यंग्यकारों के लिए विषय की कमी नहीं. सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार व समालोचक अरविंद तिवारी ने की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने इधर कुछ वर्षों से व्यंग्य के प्रकाशन उसकी गतिविधियों को भी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है. तिवारी ने कहा कि व्यंग्य में दो पहलू हैं- विसंगतियों को पकड़ना, फिर कारक और कारण पर प्रहार करना. आज व्यंग्य ने अपनी जिम्मेदारी को समझा है और व्यंग्यकार अपना दायित्व बखूबी निभाने में सक्षम है. तिवारी ने इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेला पर केंद्रित अपनी व्यंग्य रचना सुनाई. कार्यक्रम में शैलेन्द्र पराशर, संदीप सृजन, संदीप नाडकर्णी, अश्विनी कुमार दुबे आदि मौजूद थ. संचालन पिलकेन्द्र अरोड़ा ने किया. न्यास की ओर से स्वागत हिंदी के सहायक संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने किया और आश्वस्त किया कि न्यास व्यंग्य विधा के लिए पुस्तकों के प्रकाशन, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से गंभीर प्रयास कर रहा है.