नई दिल्लीः आशीष कौल की तीसरी किताब 'रक्त गुलाब' का विमोचन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया. कश्मीर और कश्मीरी पंडितों के विस्थापन से जुड़े सच को उजागर करती उनकी किताब 'रिफ्यूजी कैंप' का यह मराठी अनुवाद है, जिसे राजहंस ने प्रकाशित किया है. यह किताब पिछले साल हिंदी की बेस्टसेलर उपन्यास में शामिल थी. यह अभिमन्यु नामक एक लड़के के नेतृत्व में 5000 लोगों के विशाल आत्मघाती दस्ते में तब्दील होने की कहानी है. कौल के अनुसार अभिमन्यु की कहानी को मराठी में कहना मेरे लिए बहुत ज़रूरी था. कश्मीर के बाद महाराष्ट्र ने न सिर्फ मुझे काम दिया , बल्कि ज़िन्दगी को एक नयी दिशा और मुझे दोबारा ज़िन्दगी संवारने का अवसर भी दिया. कश्मीरी पंडित जब अपने ही देश में रिफ्यूजी हो गए थे, तब शायद सबसे बड़ा सहारा महाराष्ट्र ने ही दिया. बाला साहेब ने यहां के शिक्षण संस्थानों में विशेष तौर पर कश्मीरी विद्यार्थियों के लिए सीटें आवंटित की.
इस पुस्तक में रोचक ढंग से कहानी के पात्रों और घटनाक्रमों के साथ कश्मीर के हज़ार साल के इतिहास और गौरवशाली हिंदू अतीत को रखा गया है ताकि वर्तमान समस्या की जड़ को समझा जा सके. आशीष के अनुसार हिंदी में 'रिफ्यूजी कैंप' और मराठी में 'रक्त गुलाब' नाम इसलिए ज़रूरी था ताकि हिंदुस्तान में फिर कोई 'कश्मीर' न जन्मे , ताकि फिर कहीं किसी अभिमन्यु , अभय प्रताप कौल या आरती को 'रालीव गालिव या चलिव' यानी हमसे मिल के हम जैसे हो जाओ, भाग जाओ या मर जाओ जैसे नारे न डरा पाएं. राजहंस प्रकाशित 'रक्त गुलाब' प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित आशीष कौल की पहली किताब 'रिफ्यूजी कैंप' का मराठी भाषान्तरण है. आशीष कौल पिछले 27 साल से मीडिया और मनोरंजन की दुनिया का स्थापित नाम हैं.