जयपुर: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का उद्धघान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह ऐसा आयोजन है, जिसका हम साल भर का इंतजार करते हैं ताकि मन की बात कह सकें, लेकिन मन की बात के साथ काम की बात भी होनी चाहिए. इस मौके पर उन्होंने विजयदान देथा की किताब बातां री फुलवारी के अंग्रेजी अनुवाद टाइमलैस टेल्स फॉम मारवाड़ का लोकार्पण भी किया. यह जेएलएफ का 13वां संस्करण है. इस बार दुनिया भर के करीब 500 वक्ता 200 से ज्यादा सत्रों में अपनी बात रखेंगे. फेस्टिवल के निदेशक संजोय के राय ने कहा कि गांधी के देश में नफरत का बढ़ना चिंताजनक है. हम सबकी जिम्मेदारी है कि चुप ना रहें. हमें एक-दूसरे की आवाज बन कर बोलना है और एक-दूसरे के साथ प्यार की भाषा बोलनी है. फेस्टिवल सह निदेशक नमिता गोखले और विलयम डेरम्पिरल ने कहा कि भारत में साहित्य की मौखिक परंपरा बहुत गहरी उतरी हुई है और यही कारण है कि यह लिटरेचर फेस्टिवल सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है.

उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल ने कला के विभिन्न स्वरूपों के आपसी संबंध के बारे में कहा कि हर कला आपस में जुड़ी हुई है. शिल्प, चित्रकला, नृत्य और संगीत सभी आपस में जुड़े हुए हैं और कोई भी एक-दूसरे से ऊपर नहीं है, हालांकि गायन को सबसे ऊपर रखा जाता है, लेकिन मैं कला जगत में किसी तरह की पदानुक्रम की पक्षधर नहीं हूं. उन्होंने कहा कि जब तक कला समृद्ध है, हम अपने लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद कर सकते है. इस मौके पर उन्होंने साहिर लुधियानवी की एक नज्म भी सुनाई. सत्र के दूसरे प्रमुख वक्ता गणितज्ञ मार्कोस डू सोएटे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गणित में कविता और कविता में गणित है. भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ एस. रामानुजन कहा करते थे कि गणित में हर अंक की अपनी कहानी होती है. सोएटे ने आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव पर भी अपनी बात कही और कहा कि इसका बढता असर चिंतानजक है.  याद रहे कि फेस्टिवल में इस बार सामान्य पास के लिए फ्री ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन बंद हो चुके हैं. ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन की फीस इस बार 500 रुपए और वीकेंड पर प्रति व्यक्ति 800 रुपए कर दी गई है.