पटना, साहित्यिक संस्था 'जनशब्द' के तत्वावधान में हिंदी कविता के महत्वपूर्ण हस्कताक्षर प्रभात सरसिज की कविताओं का संग्रह 'गजव्याघ्र' का लोकार्पण-समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का संचालन कवि राजकिशोर राजन ने किया जबकि  स्वागत कवि शहंशाह आलम ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामवचन राय ने कहा कि  " प्रभात सरसिज के कवि व्यक्तित्व में शिवचंद्र शर्मा एवं लालधुआँ दोनों का रूप एक साथ दिखता है। इनकी कवितायें मनुष्य को भरोसा देने वाली और गाढ़े दिनों में काम आने वाली कवितायें हैं। हिन्दी कविता में बाघ तो पहले ही आ चुका था, अब गज यानी हाथी के साथ बाघ का आना अभिनव प्रयोग है।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में बताते हुये कहा " यह हमेशा से मुझे असहज करता है। चूँकि मेरी कवितायें स्थापित कृत्रिम मान्यताओं और उन तथाकथित महामानवों के विरोध की कवितायें हैं। कविता की सच्ची रचना प्रक्रिया कविता की रचना नहीं, अपितु अपने समाज की पुनर्रचना है।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि श्रीराम तिवारी ने कहा " प्रभात सरसिज की कवितायें सही मायने में समकाल की कवितायें हैं। यह संग्रह कवि की प्रगतिशील आस्था का जीवंत प्रतिरूप है। इसमें कवि अपने प्रथम संग्रह 'लोकराग' से काफी दूर तक की यात्रा पूरी की है।

जाने-माने साहित्यकार राणा प्रताप का कहना था कि " गजव्याघ्र की कवितायें हमें आन्दोलित करती हैं। साथ ही, वर्तमान समय की विद्रूपता से लड़ने के लिये प्रेरणा भी देती है। कवितायें सड़क पर संघर्ष करने के लिये विवश करती हैं। ये हमें अपने वर्तमान से जोड़ती हैं और सत्ता के प्रतिपक्ष रचती हैं।"  उर्दू के चर्चित शायर अता आबिदी ने कहा किप्रभात सरसिज की कविताओं में जिंदगी को समझने और बरतने का सलीका है। ये कवितायें हमारे आस-पास के दर्द को महसूस करती हैं और इन कविताओं से गुजरते हम भी उस दर्द को महसूस करने लगते हैं।

लोकार्पण सत्र का संचालन कर रहे कवि राजकिशोर राजन ने कहा कि " गजव्याघ्र में हमारे समय का भयावह सच बखूबी उजागर हुआ है और कवि ने भाषा, शिल्प और अनुभूति के स्तर पर अपने आप को ही तोड़ा है और काफी आगे की यात्रा तय की है।समारोह का दूसरा सत्र कवि-सम्मेलन का था जिसका संचालन कवियित्री बासबी झा ने किया। इस सत्र में ज्योति स्पर्श, अता आबिदी, संजय कुमार कुंदन, शहंशाह आलम, राजकिशोर राजन,अविनाश अमन, विभूति कुमार, प्रत्यूषचंद्र मिश्र, नरेन्द्र कुमार, कृष्णा समिद्ध, ओसामा ख़ान, हेमंत दास हिम, जीवेश नारायण वर्मा, असमुरारी नंदन, अमीर हमजा, एम के मधु, विजय प्रकाश आदि कवियों-शायरों ने अपनी-अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया।

धन्यवाद-ज्ञापन 'टेक्नो हेराल्ड' के प्रबंधक धनंजय कुमार सिन्हा ने किया।