इंदौर: इस बार मध्य प्रदेश के इंदौर में साहित्यप्रेमियों की महफिल 'अल्हड़ इंदौर' के नाम से सजी. लेखक-पत्रकार पंकज दीक्षित के मुताबिक देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप को याद करने के लिए ऐसे काव्य- आयोजन से डूबी शाम पहले तो पूरे प्रदेश में होगी, फिर इन्हें देश भर में आयोजित किया जाएगा. बहरहाल शुरुआत संस्कृतिप्रेमी शहर इंदौर से हुई और यहां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की महफिल सजी संस्था सोमायरा वेलफ़ेयर फाउंडेशन के सहयोग से स्थानीय 'लाभ मण्डपम' में. अल्हड़ इंदौर नाम से किए गए इस कार्यक्रम में देश के ख्यातनाम कवियो ने हिस्सा लिया. यह अल्हड़ शहर इंदौर की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी को एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि देने का प्रयास था. इसमें प्रख्यात फ़िल्मी गीतकार संतोष आनंद, राजेन्द्र राजन, पद्मिनी शर्मा, मध्यम सक्सेना, पंकज पलाश, प्रख्यात मिश्रा, पंकज दीक्षित, शम्भू शिखर, सुदीप भोला और अमन अक्षर शामिल हुए.

 

देश भर से आए इन प्रख्यात गीतकार और कवियों ने इंदौरवासियों का दिल जीता और इंदौरवासियों ने गीतकारों का. सायं 9 बजे शुरू हुई काव्य की यह महफ़िल रात 3.30 तक चलती रही. इंदौरी दाद के कायल होकर कवियों ने जहां अटल जी को श्रद्धांजलि देने के बाद एक से बढ़ कर एक अपनी पसंदीदा रचनाएं पढ़ीं, वहीं 80 वर्षीय गीतकार संतोषानंद जी ने अपनी मस्ती से यह बता, जता दिया कि जीवन पर जीत कैसे हासिल की जाती है. सुदीप भोला की, " जो खाईं शेष थी पश्चिम से, वह खाईं ही पटवा दी, किसी ने आंख मारी थी संसद में बस यों ही, गलतफहमी में कोर्ट ने वह धारा ही हटवा दी.प्रख्यात गीतकार संतोष आनंद ने अपना अमर गीत  'एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है, जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है' सुनाकर महफिल लूट ली. कुल मिलाकर आयोजकों की जी-तोड़ मेहनत रंग लाई और अटल जी की याद में आयोजित पहला 'अल्हड़ इंदौर' कवि सम्मेलन यादगार बन गया. इस आयोजन की एक खास बात यह भी रही कि इसमें  इंदौर की अद्भुत परम्परा और संस्कृति को भी एक गाना समर्पित किया गया. यह पूछे जाने पर कि अटल जी कि याद के बहाने कहीं आयोजकों का कोई राज्यस्तरीय चुनावी एजेंडा तो नहीं, पंकज दीक्षित का कहना था, ऐसा नहीं है. मध्य प्रदेश से अटल जी के खास रिश्ते के चलते यह साहित्य प्रेमियों, लेखकों का उन्हें याद करने का अपना एक प्रयास है.