पटना: 'जनशब्द' साहित्यिक संस्था द्वारा युवा कवि अभिषेक की कविता-पुस्तक 'बादल की अलगनी पर' का लोकार्पण और कविता-पाठ 'टेक्नो हेराल्ड ' के सभागार में वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार व 'कथान्तरके संपादक डॉ. राणा प्रताप ने कहा " पूंजीवाद और कविता की दुश्मनी जग-ज़ाहिर है और आज कविता पूंजीवाद के विरुद्ध अकेले मैदान में है. उन्होंने आगे कहा कि अभिषेक जैसे युवा कवि अनास्था और नाउम्मीदी के इस दौर में भी उम्मीद के  बीज बोना चाहते हैं क्योंकि उम्मीद एक ज़िंदा शब्द है।"

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए  वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने कहा " कविता का क्षेत्र रणक्षेत्र है और हर कवि को अपने स्तर पर वह युद्ध लड़ना होता है। " उन्होंने युवा कवि अभिषेक को संघर्ष और प्रतिरोध का कवि बताया। वरिष्ठ साहित्यकार और नई धारा के संपादक डॉ. शिव नारायण  के अनुसार" अभिषेक की कविताएं वैचारिक कविताएं हैं परंतु भाषा के स्तर पर कवि को अभी काफी आगे की यात्रा करनी है।"  लोकार्पण कार्यक्रम में 'प्रहरी ' पत्रिका के संपादक मनोज कुमार ने अभिषेक 'उम्मीदों का कवि करार दिया. वरिष्ठ कवि व अभिषेक कुमार के पिता  जय प्रकाश मल्ल ने अभिषेक की रचना-प्रक्रिया पर विस्तार से अपनी बातें रखीं। इस पुस्तक का ब्लर्ब लिखने वाले  कवि शहंशाह आलम ने कहा कि " अभिषेक हिंदी कविता का तरोताज़ा चेहरा है और यह कवि जिस तरह अपने जीवन में स्वाभाविक है, उसी प्रकार उसकी कविता भी स्वाभाविक है।लोकार्पण सत्र का संचालन कर रहे कवि राजकिशोर राजन ने कहा " अभिषेक की कविताएं समकालीन कविता में अलग से अपनी पहचान बनाती कविताएं हैं और सिर्फ विचार के स्तर पर नहीं शिल्प के स्तर पर भी अभिषेक एक सच्चे कवि की तरह अपनी कविताओं में उपस्थित हैं"

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य पाठ का दौर चला जिसमें अभिषेक, रश्मि अभया, पूनम सिन्हा " श्रेयसी" के अलावा 'कौशिकी' के सम्पादक कैलाश झा, घनश्याम, डा.शिवनारायण, एम.के.मधु, डा. विजय प्रकाश, शहंशाह आलम, राजकिशोर राजन, सुजीत कुमार वर्मा, जयप्रकाश मल्लमनोज कुमारहरि नारायण सिंह, प्रभात सरसिज तथा विभूति कुमार आदि कवि शामिल हुए। काव्य गोष्ठी का संचालन किया श्री विभूति कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ कथाकार शेखर ने किया। इस मौके पर  खगड़िया से पधारे "अंचित, राजेश कमलओसामा खान, सुशील भारद्वाज, बी.एन. विश्वकर्मा   आदि मौजूद थे।