मोतिहारी: यह शहर अपनी साहित्यिक गतिविधि और वैचारिकी के लिए पूरे राज्य में विख्यात है. यही वजह है कि शहर के मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में मनोहर कुमार श्रीवास्तव के सद्य: प्रकाशित काव्य-संग्रह ‘जीवन-रंग का लोकार्पण सह परिचर्चा का जब आयोजन हुआ, तो साहित्य प्रेमियों, छात्रों, प्राध्यापकों ने खुलकर शिरकत की. डा मनोहर कुमार श्रीवास्तव वर्तमान में मुंशी सिंह महाविद्यालय के हिंदी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं. ‘जीवन-रंग इनका पहला काव्य-संग्रह है. इस काव्य -संग्रह पर आयोजित परिचर्चा में वक्तव्य देते हुए मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मृगेंद्र कुमार ने मनोहर कुमार श्रीवास्तव को काव्य-संग्रह के लिए बधाई दी और कविता की सार्थकता पर बल दिया. उन्होंने धूमिल को याद करते हुए कहा कि -‘कविता भाषा में आदमी होने की तमीज है…. . काव्य-संग्रह पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने संग्रह की उपलब्धियों और सीमाओं की तरफ भी इशारा किया.
अपने वक्तव्य में मनोहर कुमार श्रीवास्तव ने अपने लेखन के सरोकार और रचना-प्रक्रिया पर अपनी बात रखते हुए संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ व गायन भी किया. डा विनय कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में काव्य-संग्रह से जुड़ी कविताओं पर अपनी बात रखते हुए ‘यह चिड़िया क्यों उदास है….’ शीर्षक कविता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि यह कविता वर्तमान समय में उपस्थित पर्यावरण संकट को ध्यान में रखते हुए महत्त्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने ‘ जीवन-रंग’ काव्य-संग्रह में मौजूद भोजपुरी कविताओं में उपस्थित लोक की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया. मुंशी सिंह महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो इक़बाल हुसैन ने मनोहर कुमार श्रीवास्तव को बधाई देते हुए कविता की रचना प्रक्रिया, कविता के महत्त्व और उसकी जरूरत पर अपनी बात रखी. परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे मुंशी सिंह महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो अरुण कुमार ने मनोहर कुमार श्रीवास्तव को बधाई देते हुए कविता की भाषा, उसकी ध्वन्यात्मकता और उसकी प्रासंगिकता को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने कविता की समझ विकसित करने के संदर्भ में जिगर मुरादाबादी को उद्धृत करते हुए कहा कि कविता में सपाट बयानी से बचना चाहिए. कविता अपनी ध्वन्यात्मकता के कारण महत्त्वपूर्ण होती है. परिचर्चा का संचालन हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डा आलोक कुमार पाण्डेय और धन्यवाद ज्ञापन डा गौरव भारती ने किया. मौके पर डा अमित कुमार, डा नरेन्द्र कुमार सिंह, डा विदुषी दीक्षित, अमरजीत कुमार चौबे, डा एके रंजन, डा संजीव कुमार, पप्पू कुमार, पंकज कुमार, ओम प्रकाश राय, प्रदीप द्विवेदी, आयुषी कुमारी, श्वेता कुमारी के साथ हिंदी विभाग के अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.