नई दिल्ली: हिंदी के चर्चित लेखक, कवि विनोद कुमार शुक्ल को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है. छत्तीसगढ़ के वे पहले लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिलेगा. 88 वर्षीय शुक्ल अपनी कहानियों, कविताओं और लेखों के लिए जाने जाते हैं. समकालीन हिंदी साहित्य के प्रभावशाली रचनाकारों में उनकी गिनती होती है. ज्ञानपीठ पुरस्कार के तहत 11 लाख रुपये की राशि, मां सरस्वती की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र के साथ दिया जाता है. इस सम्मान को पाकर उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए शुक्ल ने कहा कि यह बहुत बड़ा पुरस्कार है. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे यह मिलेगा. दरअसल, मैंने कभी पुरस्कारों पर ध्यान नहीं दिया. लोग मुझसे अक्सर कहते थे कि मुझे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना चाहिए, लेकिन मैं क्या कहता? झिझक के कारण मैं कभी सही शब्द नहीं खोज पाया. शुक्ल अभी भी लेखन में सक्रिय हैं, खासतौर पर बच्चों के लिए लिखना उन्हें पसंद है. उनका मानना है कि लिखना एक छोटी चीज नहीं है, इसे निरंतर करते रहना चाहिए और पाठकों की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए.

ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में विनोद कुमार शुक्ल के नाम को अंतिम रूप दिया गया. इस बैठक की अध्यक्षता ज्ञानपीठ पुरस्कार समिति की प्रमुख और इस पुरस्कार से सम्मानित लेखिका प्रतिभा राय ने की. चयन समिति ने अपने बयान में कहा, “यह सम्मान विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी साहित्य में उनके विशिष्ट योगदान, रचनात्मकता और अनूठी लेखन शैली के लिए दिया जा रहा है.” समिति के अन्य सदस्य माधव कौशिक, दामोदर माउजो, प्रभा वर्मा, अनामिका, ए कृष्णा राव, प्रफुल्ल शिलेदार, जानकी प्रसाद शर्मा हैं. ज्ञानपीठ निदेशक मधुसूदन आनंद भी इस बैठक में उपस्थित थे. कवि, लेखक विनोद कुमार शुक्ल की रचनाओं में ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, जिसके लिए उन्हें 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला; ‘नौकर की कमीज’, जिस पर 1979 में मणि कौल ने फिल्म बनाई और कविता संग्रह ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ 1992 शामिल है. याद रहे कि ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1961 में हुई थी और यह पहली बार 1965 में मलयालम कवि जी शंकर कुरुप को दिया गया था. यह पुरस्कार केवल भारतीय लेखकों को ही प्रदान किया जाता है. युवा और नए लेखकों के लिए विनोद कुमार शुक्ल ने कहा कि अपने ऊपर भरोसा रखिए और लिखते रहिए. लिखना एक छोटी चीज नहीं है, इसे गंभीरता से लें और पाठकों की प्रतिक्रिया को भी महत्व दें.