मुंबई: “मैं ऐसे राज्य से आता हूं, जिसकी कोई तटरेखा नहीं है. अपने जीवन के अनेक वर्षो तक मैंने समंदर नहीं देखा था. लेकिन आज मुंबई के निर्माण में जिनकी अहम भूमिका रही है, ऐसे अनेक बंदरगाहों और गोदियों के इतिहास पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हो रहा है. इसके लिए राजभवन से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता था, जो स्वयं ‘गेटवे टू द सी‘ यानी ‘समुद्र का प्रवेश द्वार‘ है.” यह बात महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में ‘गेटवे टू द सीः हिस्टोरिक पोर्ट्स एंड डाक्स आफ मुंबई रीजन‘ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता का इतिहास बताता है कि जिन लोगों ने समुद्र पर विजय प्राप्त की, वे समृद्ध हुए. लगभग 7500 किलोमीटर की तटरेखा वाला भारत हमेशा से एक महान समुद्री राष्ट्र रहा है. वर्ष 1947 से पहले भारत की तटरेखा आज से भी बड़ी रही होगी, क्योंकि पाकिस्तान और बांगलादेश भी भारत का हिस्सा थे. स्पष्ट है कि अतीत में भारत के समृद्धि का श्रेय देश की विशाल समुद्री विरासत को जाता है. राज्यपाल ने इस अवसर पर सोसाइटी सहित 17 लेखकों और दो संपादकों को सम्मानित भी किया.
राज्यपाल बैस ने मुंबई के नागरिकों को उनके प्राचीन समुद्री इतिहास के बारे में जानने के लिए भी प्रोत्साहित किया. प्रकाशन विभाग द्वारा एशियाटिक सोसाइटी के सहयोग से राजभवन के दरबार हाल में पुस्तक की प्रस्तुति भी दी गई. यह पुस्तक भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित की गई है. पुस्तक में मैरीटाइम मुंबई म्यूजियम सोसाइटी द्वारा संकलित प्रसिद्ध लेखकों के 18 लेख शामिल हैं. मैरीटाइम मुंबई म्यूजियम सोसाइटी द्वारा संकलित यह पुस्तक सोपारा, वसई, वर्सोवा, माहिम, कल्याण, ठाणे, पनवेल, अलीबाग, चौल, मंडद और जंजीरा जैसे मुंबई क्षेत्र के विभिन्न पोर्ट्स और डाक्स के इतिहास पर आधिकारिक लेखों का संकलन है. इतिहासकारों, शोधकर्ताओं, समुद्री विशेषज्ञों, संरक्षण वास्तुकारों और लेखकों ने सभी 18 अध्यायों में योगदान दिया है. इस पुस्तक का प्रकाशन उपरोक्त प्राचीन बंदरगाहों के बारे में जागरूकता पैदा करने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसमें मझगांव डाक, मुंबई पोर्ट, बॉम्बे डाक, ससून डाक और फेरी व्हार्फ सहित मुंबई के आधुनिक बंदरगाहों और डाक के विकास को भी शामिल किया गया है जिसे भाऊचा धक्का के नाम से भी जाना जाता है. आमंत्रित लोगों में इतिहासकार और इतिहास के प्रति उत्साही लोग शामिल थे. समारोह में मैरीटाइम मुंबई म्यूजियम सोसाइटी के अध्यक्ष कैप्टन केडी बहल, सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल इंद्रशील राव, संपादक डा शेफाली शाह, उपाध्यक्ष अनीता येवाले, प्रकाशन विभाग की उप निदेशक संगीता गोडबोले और योगदानकर्ता लेखक उपस्थित थे.