नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का भारत रंग महोत्सव कुछ प्रभावशाली प्रस्तुतियों और प्रसिद्ध हस्तियों की उपस्थिति से और भी खास बन गया. ऐसे लोगों में फिल्म और रंगमंच की दुनिया से नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अनूप सोनी और राजेश तैलंग जैसे सितारे थे, तो साहित्य और सृजनात्मक जगत के दिग्गज देवेन्द्र राज अंकुर और सत्य व्यास भी शामिल थे. नाट्य संपदा कलामंच महाराष्ट्र ने ‘गोष्ट संयुक्ता मानापमानाची‘ का मंचन किया, जिसे अभिराम भडकमकर ने लिखा है. यह नाटक 1920 के दशक की ऐतिहासिक घटना पर आधारित है, जब प्रसिद्ध मराठी रंगमंच कलाकार संगीत सूर्य केशवराव भोसले और बालगंधर्व ने अपने व्यावसायिक मतभेदों को भुलाकर एक साथ ‘मानापमान‘ नाटक का मंचन किया था . इस प्रदर्शन से मिली राशि तिलक स्वराज फंड में स्वतंत्रता संग्राम के लिए दान की गई थी. नाटक का निर्देशन हृषिकेश जोशी ने किया और इसका मंचन श्रीराम सेंटर में हुआ. एक रंग महाराष्ट्र ने ‘एक मधुर प्रेम कहानी उर्फ पगला घोड़ा‘ का मंचन किया, जिसे प्रसिद्ध नाटककार बादल सरकार ने लिखा है. यह नाटक एक श्मशान घाट की पृष्ठभूमि में रचा गया है, जहां चार पुरुष अपनी खोई हुई प्रेम कहानियों और बीते रिश्तों को याद करते हैं, जबकि एक मृत महिला की आत्मा उन्हें देख रही होती है. नाटक पितृसत्ता, अधूरी इच्छाओं और जीवन की नाजुकता जैसे गहरे विषयों को उजागर करता है. इसका निर्देशन जयंत देशमुख ने किया और मंचन लिटिल थिएटर ग्रुप आडिटोरियम में हुआ. लोकरंगम खंड के तहत हुडको के सहयोग से सिल्पा कानन असम द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘बिद्रोही जोना‘ असमिया लोकगीत जोना गाभोरूर गीत पर आधारित था. यह नाटक पारंपरिक कथा को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हुए पितृसत्ता की आलोचना और महिलाओं के सशक्तिकरण का संदेश देता है. इसमें राजकुमारी जोना की शादी की कथा को एक नए दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया गया, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिला. इस नाटक को गोलाप चंद्र बोरा ने लिखा था और दक्षिणा शर्मा ने निर्देशित किया था. इसकी प्रस्तुति बहुमुख में हुई, जहां दर्शकों ने इसे सराहा. यह नाटक केवल एक ऐतिहासिक या पौराणिक कथा नहीं था, बल्कि इसमें समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक सोच पर करारा प्रहार किया गया. असम की समृद्ध लोकसंस्कृति को आधुनिक सामाजिक संदेश के साथ जोड़कर यह नाटक एक प्रभावशाली प्रस्तुति साबित हुआ, जिसने महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास किया. अंतरराष्ट्रीय नाटक का मंचन हिल्ट ब्लैक लाइट थिएटर प्राग चेक गणराज्य द्वारा किया गया. ‘इमेजेस आफ लव‘ नामक इस नाटक में, फिल्म प्रोजेक्शनों को जीवंत ब्लैक लाइट थिएटर के साथ मिलाकर प्रेम, भावनाओं और प्रेम के विविध रूपों की एक स्वप्निल यात्रा दर्शकों के सामने प्रस्तुत की गई.यह नाटक मल्टीमीडिया प्रभावों और इंटरैक्टिव कहानी कहने की शैली का एक अद्भुत मिश्रण था, जिसने दर्शकों को हंसने, नाचने और प्रेम के उतार-चढ़ाव को महसूस करने के लिए प्रेरित किया. थियोडोर होइडेकर द्वारा लिखित और निर्देशित इस नाटक की भव्य प्रस्तुति कमानी सभागार में हुई. अपने अनूठे कलात्मक प्रयोगों और अभूतपूर्व दृश्य प्रभावों के कारण, यह नाटक दर्शकों को एक नई और अद्भुत नाट्य शैली का अनुभव कराने में पूरी तरह सफल रहा.
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के 2024 बैच के स्नातक छात्रों ने ‘अभिमंच‘ में एलिस बर्च के नाटक ‘एनाटामी आफ ए सुसाइड‘ का प्रभावशाली मंचन किया. हृतुलेखा नाथ के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अभिनव कहानी कहने की शैली थी. तीन महिलाओं मां, बेटी और पोती – की कहानियां अलग-अलग समय-रेखाओं में समानांतर रूप से चलती हैं, जो धीरे-धीरे उनके आपस में जुड़े होने का रहस्य खोलती हैं.यह नाटक पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे मानसिक आघात, समाज की मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता और पितृसत्ता के प्रभाव जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गहराई से प्रकाश डालता है. नाटक न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी को दर्शाता है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक आलोचना भी प्रस्तुत करता है, जो दर्शकों को गहन चिंतन के लिए प्रेरित करती है. अपने प्रभावी मंचन और भावपूर्ण प्रस्तुति के कारण, यह नाटक दर्शकों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ने में सफल रहा. सभी प्रस्तुतियों के बाद दर्शकों के पास मीट द डायरेक्टर खंड में निर्देशकों, कलाकारों और क्रू के साथ खुले संवाद सत्र में भाग लेने का अवसर था, जहां उन्होंने निर्माण प्रक्रिया के बारे में चर्चा की. अद्वितीय सत्र में स्ट्रीट प्ले श्रेणी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कालेज फार विमेन की टीम नवरंग ने सार्वजनिक क्षेत्र में हाशिए पर मौजूद समुदायों के साथ होने वाले भेदभाव पर आधारित एक नाटक प्रस्तुत किया. इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्नोलाजिकल यूनिवर्सिटी फार विमेन की टीम रहनुमा ने द गैग चैप्टर नामक नाटक का मंचन किया, जिसमें गिग वर्कर्स की अमानवीय कार्य परिस्थितियों को उजागर किया गया. वहीं, गुरु तेग बहादुर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी की टीम एटसेट्रा ने व्हिसलब्लोइंग पर आधारित एक नाटक प्रस्तुत किया. इसी खंड में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र देवेंद्र अहिरवार की चर्चित पुस्तक ‘पंडुब्बियां‘ का विमोचन किया गया. इस विशेष अवसर पर एनएसडी के पूर्व निदेशक देवेंद्र राज अंकुर, सुप्रसिद्ध अभिनेता एवं रंगमंच व्यक्तित्व राजेश तैलंग और लोकप्रिय लेखक सत्य व्यास उपस्थित थे. प्रतिष्ठित टाक शो होस्ट सैयद मोहम्मद इरफान ने गरिमामय कार्यक्रम का संचालन किया. विमोचन समारोह के पश्चात देवेंद्र अहिरवार के बैंड ‘मंडी हाउस- द बैंड‘ ने अपने आधुनिक लोक संगीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. साहित्यिक खंड ‘श्रुति‘ में वाणी त्रिपाठी टिक्कू की पुस्तक ‘क्यों नहीं हो सकते हाथी लाल?’ का विमोचन और चर्चा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी, प्रख्यात अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी और टीवी स्टार अनुप सोनी उपस्थित रहे. इनके साथ वाणी प्रकाशन की कार्यकारी निदेशक अदिति महेश्वरी गोयल भी इस आयोजन का हिस्सा बनीं. इस दिन का समापन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक एवं पूर्व छात्र चित्तरंजन त्रिपाठी और उनके सहपाठी नवाजुद्दीन सिद्दीकी के बीच एक विशेष संवाद के साथ हुआ. एनएसडी के छात्रों द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय एवं बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम ‘टू बेस्टीज़: बैच आफ 1996′ के अंतर्गत इस सत्र का आयोजन किया गया था, इस सत्र का संचालन प्रसिद्ध टीवी एंकर श्रीवर्धन त्रिवेदी ने किया. इस भावपूर्ण चर्चा में दोनों कलाकारों ने एनएसडी से स्नातक होने के बाद के अपने जीवन के सफर और यादगार लम्हों को साझा किया.