प्रयागराज: 2025 का महाकुंभ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ ही भाषाई विविधता का भी गवाह बनता है. इस विविधता से सामंजस्य बिठाने के लिए इलेक्ट्रानिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सभी आगंतुकों को निर्बाध संचार और पहुंच सुनिश्चित कराने की व्यवस्था के तहत ‘भाषिणी’ की सेवाएं प्रदान की हैं. पहली बार भाषिणी के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में बहुभाषी पहुंच प्रदान करके लोगों के बीच सूचना साझा करने के साथ ही उनकी अपनी भाषा में संप्रेषण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. अपनी उन्नत बहुभाषी क्षमताओं के जरिए भाषिणी 11 भारतीय भाषाओं में घोषणाओं, कार्यक्रमों की सूची, और सुरक्षा दिशा-निर्देशों का अनुवाद उपलब्ध करा रहा है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि तीर्थयात्री, चाहे उनकी मूल भाषा कोई भी हो, इस महाकुंभ के दौरान अपनी भाषा में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. भाषिणी के स्पीच-टू-टेक्स्ट और टेक्स्ट-टू-स्पीच टूल बहुभाषी चैटबोट, मोबाइल एप्लिकेशन और कियोस्क के साथ जुड़कर तीर्थयात्रियों को उनकी पसंदीदा भाषा में मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी आसानी होती है.
भाषिणी की सुलभ आपातकालीन सेवाएं कई भाषाओं में हेल्पलाइन की सुविधा सुनिश्चित करती हैं ताकि महाकुंभ में उपस्थित लोगों को प्रभावी रूप से सहायता मिल सके. यूपी पुलिस के सहयोग से, भाषिणी की कन्वर्ट सुविधा 112-आपातकालीन हेल्पलाइन के साथ संचार में मदद कर रही है. इस हेल्पलाइन में भाषा संबंधी चुनौतियों से निपटने में भक्तों की सहायता करने के लिए प्रशिक्षित अधिकारी नियुक्त हैं. भाषिणी की मदद से ई-गवर्नेंस को सक्षम बनाने की इस प्रक्रिया में अधिकारी विभिन्न दर्शकों तक विनियमों, दिशा-निर्देशों और सार्वजनिक सेवा घोषणाओं को पहुंचा रहे हैं, जिससे सुचारू समन्वय सुनिश्चित हो रहा है. यही नहीं ‘डिजिटल खोया और पाया समाधान’ भाषिणी की प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो आगंतुकों को उनकी मूल भाषा में वायस इनपुट का उपयोग करके खोई या पाई गई वस्तुओं को दर्ज करने में सक्षम बना रहा है. साथ ही वास्तविक समय में लिखित सूचनाओं और ध्वनि अनुवाद के माध्यम से श्रद्धालुओं, भक्तों, अधिकारियों, कर्मचारियों के बीच बातचीत को सरल बना रहा है.