नई दिल्ली: “भारतीय संस्कृति के बारे में विश्व की जिज्ञासा लगातार बढ़ रही है, और कैसमै जैसे कलाकारों ने इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. समर्पित प्रयासों के माध्यम से, उन्होंने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर भारतीय विरासत की समृद्धि, गहराई और विविधता को प्रदर्शित करने में मदद की है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जर्मन गायिका कैसमै की प्रशंसा में सोशल मीडिया पर यह बात कही. मन की बात के ताजा प्रसारण में भी उन्होंने कैसमै का जिक्र किया. ऐसा वे पहले भी कर चुके हैं. आइए जानते हैं कौन हैं यह कैसमे. जर्मन गायिका कैसमै का पूरा नाम कैसेंड्रा माई स्पिटमैन है. वह कई भारतीय भाषाओं में गीत-संगीत की अभिव्यक्ति से लोकप्रिय हुई हैं. कैसमै विशेषकर भक्ति गीत गाती हैं. जर्मनी की रहने वाली कैसमै ने जिस समय भारतीय भक्ति गीतों को गाना शुरू किया, उन्होंने भारत को देखा भी नहीं था. पर इन गीतों में छिपे भाव और भक्ति ने उन्हें भारतीय संगीत का दीवाना बना दिया था. प्रधानमंत्री ने जब उनके गीत सुने थे तब कहा भी था कि जिसने कभी भारत को देखा तक नहीं, उसकी भारतीय संगीत में रूचि बहुत ही प्रभावित करने वाली है.
अभी कुछ समय पहले ही जर्मनी की रहने वाली कैसमै का गाया शिव पंचाक्षर स्तोत्र सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. वह गीत आज भी सुना जाता है. कैसमै कई भाषाओं में गाना गाती है. उन्होंने तबला बजाना भी सीखा है. उनके गाये गीत हिंदी और संस्कृत न जानने वाले लोगों द्वारा भी बहुत पसंद किया जाता है और युवा उन्हें शेयर भी करते हैं. कैसमै का संस्कृत उच्चारण बहुत सटीक और स्पष्ट है और वे मंत्रों का सस्वर पाठ करना जानती हैं. अयोध्या राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले उन्होंने ‘राम आएंगे’ गाना गाकर सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्ष फरवरी में तमिलनाडु के पल्लदम में कैसमै से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान इस जर्मन भक्ति गायिका ने प्रधानमंत्री को ‘अच्युतम केशवम’, ‘हरे राम, हरे राम’ और कुछ तमिल गीत भी सुनाये थे. कैसमै के साथ उनकी मां ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी.