नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के भारत रंग महोत्सव 2025 के पंद्रहवें दिन छह शानदार प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें दो अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन भी शामिल थे. छात्र-नेतृत्व वाले ‘अद्वितीय’ खंड में, रंगमंच और फिल्म अभिनेत्रियां गीतांजलि कुलकर्णी, सुनीता राजवार और अंजलि पाटिल ने प्रियंका शर्मा के साथ संवाद किया. स्पेस अकादमी ओड़िशा ने ‘नंदिका केशरी’ का मंचन किया. यह एक ऐतिहासिक नाटक है, जो 12वीं शताब्दी के ओड़िशा की पृष्ठभूमि में स्थापित है. यह युद्ध, विश्वासघात और अधूरी प्रेम कहानी के बीच शांति के लिए राजकुमारी नंदिका के संघर्ष को दर्शाता है, जो अंततः शक्ति और सत्ता के वास्तविक स्वरूप पर सवाल उठाता है. नाटक को मनोरंजन दास ने लिखा है, इसका निर्देशन सत्यव्रत राउत ने किया है, और इसका मंचन श्रीराम सेंटर में किया गया. रंग मोहिनी आर्ट एंड वेलफेयर सोसाइटी मध्य प्रदेश ने ‘पुरुष’ का मंचन किया. यह एक प्रभावशाली नाटक है, जो मुंबई के मध्यवर्गीय परिवेश में स्थापित है. यह अंबिका के साहसिक संघर्ष को दर्शाता है, जो पितृसतता, जाति उत्पीड़न और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ती है, अंततः मानव आत्मा की दृढ़ता और विजय को उजागर करता है. नाटक को जयवंत डालवी ने लिखा है, ज्योति सावरकर ने अनुवाद किया है और आदर्श शर्मा ने निर्देशित किया है. इसका मंचन लिटिल थिएटर ग्रुप आडिटोरियम में किया गया. सीगुल थिएटर असम ने ‘व्यथा’ का मंचन किया. यह देवनूरू महादेव के ओडालाला पर आधारित एक मार्मिक नाटक है, जो एक दलित परिवार के सामाजिक उत्पीड़न, भूख और विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग तथा हाशिए पर मौजूद लोगों के बीच की गहरी खाई के संघर्ष को उजागर करता है. नाटक को देवनूरू महादेव ने लिखा है, इसका निर्देशन भागीरथी बाई ने किया है, और इसका मंचन बहुमुख में किया गया.

दिन का दूसरा अंतरराष्ट्रीय नाटक ‘द रोज’ था, जिसे नार्वे के ढकाल  आरएच  क्रिएशन ने प्रस्तुत किया. यह नाटक यशोधरा की भावनात्मक यात्रा को दर्शाता है, जिसमें वह प्रेम और आनंद से लेकर विरह और संकल्प तक के अनुभवों से गुजरती है. सिद्धार्थ के संन्यास के बाद, वह पीड़ा और आत्मखोज के माध्यम से अपने रूपांतरण को जीती है. नाटक को राम हरि धकल ने लिखा और निर्देशित किया, और इसका मंचन  के मेघदूत में किया गया. अंतरराष्ट्रीय समूह एक्स-थिएटर एशिया ताइवान ने ‘कर्ण’ का मंचन किया. यह नाटक महाभारत के गुमनाम नायक कर्ण के जटिल और त्रासद जीवन की पड़ताल करता है, जो निष्ठा, नियति और पहचान के द्वंद्व में उलझा हुआ है और अपने अंतिम युद्ध का सामना करता है. नाटक को हिमांशु बी जोशी ने लिखा है, चोंगथम जयंत मीतेई ने निर्देशित किया है, और इसका मंचन कमानी में किया गया. मध्य प्रदेश स्कूल आफ ड्रामा मध्य प्रदेश ने ‘पुनश्च कृष्ण’ का मंचन किया, जिसे रमा यादव ने लिखा है. यह नाटक भगवान कृष्ण के बहुआयामी स्वरूप को उनके विभिन्न युगों के साथियों के संवादों के माध्यम से प्रस्तुत करता है. भगवद गीता, महाभारत और भक्तिपरक परंपराओं के संदर्भों को जोड़ते हुए, यह कृष्ण के रहस्यमय स्वरूप को उजागर करता है. नाटक का निर्देशन टीकम जोशी ने किया और इसका मंचन अभिमंच में किया गया. सभी प्रस्तुतियों के बाद दर्शकों को ‘मीट द डायरेक्टर’ सत्र के तहत निर्देशकों, कलाकारों और दल के अन्य सदस्यों के साथ खुली चर्चा का अवसर मिला, जहां उन्होंने नाट्य निर्माण प्रक्रिया पर संवाद किया.

अद्वितीय के 15वे दिन के  सत्र ‘रिज़ोनेटिंग आन थिएटर एंड सिनेमा’ में रंगमंच, सिनेमा, विज्ञापन और ओटीटी जगत की प्रसिद्ध और समीक्षकों द्वारा सराही गई अभिनेत्रियां – सुनीता राजवार, गीतांजलि कुलकर्णी और अंजलि पाटिल, जो सभी एनएसडी की पूर्व छात्राएं हैं – ने अपने अभिनय शिल्प और थिएटर से सिनेमा तक की यात्रा पर चर्चा की. इस सत्र का संचालन निर्देशक और अभिनेत्री प्रियंका शर्मा ने किया. साहित्यिक खंड ‘श्रुति’ के अंतर्गत ‘माएस्ट्रो: ए ट्रिब्यूट टू श्याम बेनेगल एट 90’ पुस्तक का विमोचन और चर्चा आयोजित की गई. इस पुस्तक के लेखक अभिनेता और लेखक अतुल तिवारी हैं. इस अवसर पर अजीत राय ने लेखक अतुल तिवारी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के  विद्वान सदस्य सचिव, कार्यकारी एवं शैक्षणिक प्रमुख सच्चिदानंद जोशी के साथ संवाद किया.