नई दिल्ली: मेटा थिएटर फेस्टिवल में श्री राम सेंटर में सुमन साहा द्वारा निर्देशित ‘निःसंगो ईश्वर’ का बांग्ला और संस्कृत में मंचन हुआ. नाटक में कृष्ण के अंतिम क्षणों को दर्शाया गया है. कुरुक्षेत्र का भीषण युद्ध समाप्त हो चुका है, यादव कुल का विनाश हो चुका है, और बलराम ने भी नश्वर देह त्याग दी है. अब वन के एकांत में कृष्ण मृत्यु की प्रतीक्षा में अकेले बैठे हैं. उनकी दिव्य आभा मानो लुप्त हो रही है, और भीतर का साधारण मानव उभर रहा है. वे अपने जीवन की घटनाओं पर चिंतन करते हैं, अपनी लीलाओं पर एक दर्शक की भांति दृष्टि डालते हैं, जिन्होंने उन्हें देवत्व प्रदान किया. शिशुपाल से टकराव, वृंदावन की रासलीलाएं, राजनीति के अखाड़े में अपने साथियों के बीच श्रेष्ठ बनने की इच्छा, द्रौपदी के प्रति उनका निस्वार्थ स्नेह, जरासंध की शक्ति का भय, कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपनी प्रतिज्ञाओं का उल्लंघन, उनके स्वप्न और असंख्य अपूर्ण अभिलाषाएं – ये सब मिलकर उन्हें एक सामान्य मानव की पीड़ा का अनुभव कराते हैं. वे देवत्व के आवरण को उतारकर शेष जीवन एक साधारण मनुष्य की भांति जीना चाहते हैं, भले ही वह क्षणिक ही क्यों न हो. परंतु, उनकी अद्वितीय बुद्धि उन्हें भविष्य का पूर्वानुमान करने से नहीं रोक पाती. वे अज्ञानी बनने का, एक सामान्य मनुष्य बनने का प्रयास करते हैं. क्या यह गहन उदासीनता उन्हें ‘पुरुषोत्तम’ से एक साधारण मानव में परिवर्तित कर देगी?

कमानी सभागार में कन्नन पलक्कड़ द्वारा निर्देशित मार्मिक मलयालम नाटक ‘कांडो निंगल एंटे कुट्टिये कांडो’ जिसका अंग्रेजी अर्थ ‘हैव यू सीन माय सन?’ और हिंदी अर्थ ‘क्या तुमने मेरे बेटे को देखा?’ का मंचन हुआ. यह प्रस्तुति दर्शकों को एक गहन भावनात्मक यात्रा पर ले गई. यह नाटक अन्याय और दमन के विरुद्ध मानवीय भावना की अटूट शक्ति को दर्शाता है. इस बात से भला किसे इनकार हो सकता है कि 25 जून, 1975 का दिन भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का एक काला अध्याय है. इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल की घोषणा की थी. इस दमनकारी शासन के 21 महीनों के दौरान, असंख्य लोगों ने अपनी जान गंवाई. केरल के राजन भी एक ऐसे ही शहीद थे. यह नाटक प्रोफेसर टीवी ईचारा वारियर- एक शिक्षक, लेखक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता – के संघर्ष के अंतिम दिनों के दौरान उजागर हुई ऐतिहासिक सच्चाइयों को दर्शाता है. प्रोफेसर वारियर ने इसके मंचन से राजन की मृत्यु के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय दिलाने के लिए अथक प्रयास किया.