जयपुर: “भारत का संविधान सिर्फ कानूनों का संकलन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मार्गदर्शक है. पिछले 75 वर्षों में संविधान के मार्गदर्शन में हमने कई परिवर्तन देखे हैं.” लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जयपुर में ‘कान्स्टीट्यूशन क्लब आफ राजस्थान’ के शुभारंभ कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र की शक्ति है, लेकिन विधानसभाओं और संसद में सुनियोजित गतिरोध लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं. जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विधायी संस्थानों को चर्चा और संवाद का केंद्र बनना होगा. उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में सार्थक संवाद और स्वस्थ बहस होनी चाहिए. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप और जानबूझकर पैदा किए गए गतिरोध लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह संविधान क्लब पक्ष-विपक्ष के बीच सार्थक विमर्श और सहमति का मंच बनेगा.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विमर्श, विचारशीलता और नीति-निर्माण को दिशा देने वाला मंच है. लोकतंत्र सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं होता, बल्कि सतत संवाद और सहमति से आगे बढ़ता है. यह क्लब नीति-निर्माण और सुशासन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. उन्होंने बताया कि दिल्ली में संविधान क्लब की परिकल्पना 1947 में संविधान निर्माण के दौरान हुई थी. उस समय अनौपचारिक चर्चा और नीतिगत संवाद के लिए एक मंच की आवश्यकता महसूस हुई थी. राजस्थान में स्थापित यह क्लब भी लोकतांत्रिक संवाद और विचार-विमर्श का प्रमुख केंद्र बनेगा. यह विधायकों को विचारशीलता, नीति-निर्माण और सुशासन पर खुलकर चर्चा करने का अवसर देगा. रला ने कहा कि राजस्थान विधानसभा हमेशा मार्गदर्शक रही है. यहां पारित कई विधेयक पूरे देश के लिए उदाहरण बने हैं. उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत और वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि राजस्थान की भूमि ने लोकतांत्रिक परंपराओं को सदैव समृद्ध किया है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, सांसद, विधायक और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे.