नई दिल्ली: “पढ़ना सिर्फ शौक नहीं है; यह एक परिवर्तनकारी अनुभव है. जब आप किसी बच्चे को पढ़ने का आनंद देते हैं, तो आप राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राजधानी में दुनिया के सबसे बड़े विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन सत्र में बचपन की यादें साझा करते हुए यह बात कही. राष्ट्रपति ने विश्व पुस्तक मेले में इस वर्ष के थीम ‘गणतंत्र भारत के ७५ वर्षों का उत्सव’ के चयन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “पुस्तक मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता, इसकी एकता और प्रभावशाली प्रगति की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति प्रदान करता है.” इस अवसर पर भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव, प्रमुख रूसी लेखक डा एलेक्सी वर्लामोव,  स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव संजय कुमार, सचिव उच्च शिक्षा विभाग विनीत जोशी, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के अध्यक्ष प्रो मिलिंद सुधाकर मराठे एवं निदेशक युवराज मलिक उपस्थित रहे. राष्ट्रपति ने थीम मंडप का उद्घाटन भी किया और मेले का दौरा भी किया. ‘हम, भारत के लोग…’ के आदर्श वाक्य के साथ इस वर्ष, थीम मंडप हमारे संविधान द्वारा गणतंत्र के मूलभूत मूल्यों के माध्यम से राष्ट्र को एकजुट करने में निभाई गई अपरिहार्य भूमिका का जश्न मनाता है. प्रदर्शनी भारतीय गणतंत्र की प्रथम पुस्तक रूप में सविंधान की मूल प्रति में शामिल कालकृतियों सहित इसकी अवधारणाओं पर आधारित विभिन्न गणतांत्रिक मूल्यों को आकर्षक रूप में प्रस्तुत करती है.

भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने हिंदी में अपना संबोधन शुरू किया. अलीपोव ने भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही साहित्यिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक साझेदारी पर जोर देते हुए कहा, “दोनों देश कहानियों के प्रति अपने प्रेम और जीवन को बदलने की उनकी शक्ति में विश्वास से एकजुट हैं. इस वर्ष फोकस देश के रूप में, हम इसे भारत और रूस के बीच साहित्य में सहयोग की नयी संभावनाओं को तलाशेंगे.” सचिव स्कूली शिक्षा संजय कुमार ने कहा, “भाषा और साहित्य का जितना दुनिया में जितना अधिक आदान प्रदान होता है, यह दुनिया उतनी ही अधिक सुंदर बनती है.” उन्होंने मेले को संस्कृतियों के बीच एक सेतु कहा जो कई मायनों में देश की भाषाई बहुलता को दर्शाता है. नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 में दुनिया भर के विभिन्न देश जैसे न्यूजीलैंड, जर्मनी, लिथुआनिया, स्पेन, यूएई, इजरायल, नेपाल, जापान, हांगकांग, पोलैंड, मिस्र, नाइजीरिया, श्रीलंका, ईरान, आस्ट्रेलिया, ईरान, यूएसए, यूके, फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, कतर और रूस भाग ले रहे हैं. प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने बाल मंडप के उद्घाटन समारोह में कहा कि किताबों की दुनिया में बच्चों का एक विशेष स्थान है. ‘सभी के लिए किताबें’ पहल के माध्यम से एनबीटी, इंडिया का लक्ष्य आडियोबुक और ब्रेल में प्रकाशनों सहित पढ़ने के समावेशी अवसर उपलब्ध कराना है.  नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 9 फरवरी तक हाल 2 से 6 तक, भारत मंडपम में सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक चलेगा. स्कूल यूनिफार्म में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए प्रवेश निःशुल्क है.