नई दिल्ली: विश्व पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों और लेखकों की उपस्थिति से पूरे परवान पर है. मेले के आयोजक के रूप में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत इस बात के लिए बधाई का पात्र है कि उसने युवाओं और बच्चों को भी पुस्तकों से जोड़ने की सराहनीय कोशिश की है. ‘राजा जी का आर्डर आया, मंत्री को एक आइडिया आया … की मजेदार पंक्तियों के साथ बच्चों ने बाल मंडप में सीखी जूतों के आविष्कार की कहानी . साथ ही कैलीग्राफी कार्यशाला, बाल फिल्म स्क्रीनिंग, कठपुतली शो ने बच्चों का भरपूर मनोरंजन किया और बैगलेस डे की संकल्पना साकार होते हुए दिखी. रूस से आई कहानी के श्रृंखला में रूसी कलाकारों जूलिया और अनास्तासिया स्ट्रोकिना ने ‘टेलीफोन टेल्स आफ मारिंडा और मिरांडा’ से बच्चों को जोड़ा. बच्चों के बीच स्कूल शिक्षा विभाग के राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय और विश्व पुस्तक मेले की मैस्काट विद्या विशेष रूप से लोकप्रिय रही. राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय द्वारा युवा पाठकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने हेतु दैनिक लक्ष्य दिया जाता है ताकि वो मनोरंजक कहानियों के माध्यम से पढ़ने की आदत को अपनाएं. विश्व पुस्तक मेले ने माईगोव.के माध्यम से न केवल दिल्ली बल्कि देश भर के पुस्तक प्रेमियों को पुस्तकों के संस्कृति से जोड़ा है , इसके अंतर्गत रीडिंग प्लेज, पुस्तक प्रश्नोत्तरी क्विज, सेल्फी विद बुक का आयोजन किया गया है. युवाओं के लिए फेस्टिवल आफ फेस्टिवल्स कार्यक्रम के अंतर्गत भारत लिटरेचर फेस्टिवल के मंच पर फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी शामिल हुए. लेखक अक्षत गुप्ता के साथ पंकज त्रिपाठी ने एक अभिनेता के रूप में अपनी अब तक की यात्रा और उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में बात की. हल्के-फुल्के अंदाज में अभिनेता ने कहा कि उनकी बकेट लिस्ट में दो आइटम हैं- आठ घंटे की नींद लेना और भारत के हर कोने की खोज करना. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पंकज त्रिपाठी के रूप में अपनी वास्तविक जीवन की भूमिका निभाने के अलावा, वह नारियल का पेड़ बनना पसंद करेंगे क्योंकि यह पेड़ लोगों को कितनी उदारता से प्रदान करता है.

मेले में एक अन्य परिचर्चा सत्र में पुष्पेश पंत और शेफ सदफ हुसैन ने ‘फ्राम किचन टू किंगडम्सः द जर्नी आफ इंडियन फूड्स’ पर चर्चा की कि कैसे भारतीय घरों के पारंपरिक व्यंजन उनके क्षेत्रीय प्रभावों और सांस्कृतिक महत्त्व को गहराई से दर्शाते हैं, क्यों स्ट्रीट फूड अक्सर स्थानीय क्षेत्रों की पाक विरासत को दर्शाता है और क्यों आज भारतीय व्यंजन वास्तव में दुनिया भर में एक प्रमुख पहचान रखते हैं. इस दिन आगंतुकों ने जिन अन्य चर्चाओं का आनंद लिया, उनमें भारतीय भाषाओं की शब्दावली अमीरात समाज में कैसे अपना रास्ता खोजती है, विषय पर डा आयशा अल गैथ और लेखक अलेक्सी वरलामोव और साहित्यिक आलोचक डेनिस लुक्यानोव द्वारा ‘ओडसन’ पर एक पुस्तक चर्चा शामिल थी. पुस्तके मेले में कापीराइट्स एक्सचेंज फोरम नई दिल्ली राइट्स टेबल कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया गया. एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने दो दिवसीय नई दिल्ली राइट्स टेबल के उद्घाटन समारोह में कहा, “यह एक ऐसा मंच है, जो भारतीय प्रकाशन इकोसिस्टम को एकीकृत करने और प्रकाशन उद्योग में पेशेवरों के रूप में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है. एनबीटी के अध्यक्ष प्रो सुधाकर मराठे, मुख्य संपादक और संयुक्त निदेशक कुमार विक्रम और प्रकाशन संस्था रूसी भाषा के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रमुख डिमट्री सिलीन ने भी भाग लिया. उधर वाणी प्रकाशन के साहित्य-घर का यह दिन 9 दिन 9 फनकार के तहत जान एलिया और दो पुस्तकों ‘खानाबदोशियां’ और ‘रंग पुटुसिया’ पर परिचर्चा के नाम रहा. 9 दिन 9 फनकार के अन्तर्गत जान एलिया पर मशहूर शायर शकील जमाली और प्रसिद्ध वक्ता सौम्या कुलश्रेष्ठ के बीच रोचक संवाद हुआ. सत्र का संचालन करने के साथ-साथ सौम्या ने जान की कई कविताएं सुनाईं. कार्यक्रम के अन्त में कुछ श्रोताओं ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया. दूसरा कार्यक्रम टीवी पत्रकार पंकज भार्गव के यात्रा वृत्तान्त ‘खानाबदोशियां’ पर पंकज भार्गव के साथ फिल्म समीक्षक और पत्रकार मुर्तजा अली खान और एडवर्टाइजिंग गुरु अजय शर्मा ने शिरकत की. वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि यात्राएं हमें सुख देती हैं. यह किताब गढ़ी हुई यात्राओं की अनगढ़ कहानी है. तीसरा कार्यक्रम अमरेश द्विवेदी के उपन्यास ‘रंग पुटुसिया’ पर परिचर्चा का रहा, जिसमें लेखक के साथ साहित्य मीमांसक जय प्रकाश पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार राजेश जोशी और प्राध्यापक राजेश राव उपस्थित थे. वक्ताओं ने इस उपन्यास की वर्तमान समय में प्रासंगिकता को रेखांकित किया.