मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी के मुक्ति आडिटोरियम में वाणी प्रकाशन समूह ने धर्मवीर भारती जन्म शताब्दी पर एक साहित्यिक और सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया. इस अवसर पर भारती की विरासत का सम्मान करने के लिए साहित्यिक दिग्गज, संस्कृतिकर्मी और कलाकार एक साथ जुटे और उनकी कृतियों की चर्चा की, जिसमें गुनाहों का देवता और अंधा युग आदि शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय साहित्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है. इस अवसर पर ‘गुनाहों का देवता’ के 164वें संस्करण का अनावरण हुआ. यह संस्करण भारती की पत्नी पुष्पा भारती को आभार प्रतीक भेंट किया गया. उत्सव की शुरुआत ‘धर्मवीर भारती कविता संगोष्ठी’ से हुई. जिसमें विष्णु शर्मा, राजेश रेड्डी, बोधिसत्व और कमलेश मलिक शामिल हुए. इन्होंने भारती की काव्य प्रतिभा और इसकी कालातीत प्रासंगिकता पर विचार किया. कार्यक्रम में पहला लोकार्पण वीरेंद्र वत्स की पुस्तक ‘तू जीत के लिए बना’ का हुआ. वत्स पेशे से पत्रकार हैं और उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना आयुक्त हैं. उनकी कविताओं में समाज बोध और सरोकार रेखांकित होता है. सोशल मीडिया पर उनकी कविताएं युवाओं में बहुत लोकप्रिय है.
इसके बाद अलका अग्रवाल सिगतिया की #मीरा_कूल का विमोचन हुआ, जिसमें प्रतिष्ठित वक्ता शोमा घोष, राजेश्वरी सचदेव, विष्णु शर्मा, वंदना शर्मा, हेमंत झा और विवेक अग्रवाल ने पुस्तक में खोजे गए समकालीन विषयों व्यंग्य पर चर्चा की. इसके बाद सूर्यबाला की ‘यादों के शिलालेख’ का लोकार्पण किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित वक्ता सुदर्शणा द्विवेदी, हरीश पाठक, हरि मृदुल और चित्रा देसाई ने अपनी अंतर्दृष्टि प्रदान की. समारोह में अंबर पांडे की उपन्यास त्रयी की पहले भाग ‘मतलब हिंदू’ का भी लोकार्पण हुआ, जिसके साथ प्रभात रंजन, अदिति माहेश्वरी, सत्य व्यास और प्रियंका दुबे की अगुवाई में एक दिलचस्प चर्चा हुई, जिसमें हिंदी साहित्य में परंपरा और आधुनिकता के जटिल अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला गया. एक अन्य सत्र में चिन्मयी त्रिपाठी की ‘आठवें माले पर स्वाधिष्ठान’ पेश की गयी, जिसमें अशोक मिश्रा, अनु सिंह चौधरी, जोएल मुखर्जी और यूनुस खान ने इसकी साहित्यिक गहराई पर अपने विचार साझा किया.