आगरा: विश्व में ताज नगरी के नाम से मशहूर आगरा महानगर में बुद्धिजीवियों ने ‘ताजमहल से इतर आगरा‘ नामक जारी है. महानगर के साहित्य और समाज से जुड़े लोगों की मांग है कि आगरा के मेट्रो स्टेशनों पर आगरा के कवियों, शायरों, संस्कृति आदि से संबंधित साहित्य एवं स्मृति चिह्नों की सहज उपलब्धता के लिए दुकानें और एकल बूथ खोले जाएं. नगर की अमृत विद्या एजुकेशन फार इम्मोर्टालिटी सोसायटी ने इस संबंध में प्रमुख सचिव उप्र पर्यटन विभाग एवं उप्र मेट्रो रेल कार्पोरेशन लि के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन को पत्र भी लिखा है. पत्र में कहा गया है कि आगरा की पहचान साहित्यकारों की नगरी के रूप में भी है, लेकिन महानगर की इस विशिष्टता के बारे में बाहर से आने वाले पर्यटक तो क्या स्थानीय नागरिक भी कम ही जानते हैं. इसका कारण साहित्यिक क्षेत्र की गतिविधियों और उपलब्धियों का कम प्रचार होना भी है. जबकि साहित्यिक विशिष्टता अपने आप में विश्व भर में सुरुचिपूर्ण पर्यटन का एक स्थापित कारण है.
बुद्धिजीवियों का मानना है कि आगरा की साहित्यिक विशिष्टता का प्रचार कम ही हुआ है. फलस्वरूप महानगर के साहित्यिक पक्ष के भी उपयुक्त प्रचार की जरूरत है. मेट्रो रेल सेवा यह कमी दूर करने में अपना योगदान दे सकती है. प्रख्यात शायर नज़ीर अकबराबादी एवं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा प्रशंसित एवं प्रख्यात आध्यात्मिक मार्गदर्शक स्वामी नारायण के मंचों की शोभा रहे सत्य नारायण कविरत्न की भी कर्म भूमि यह क्षेत्र रहा है. साथ ही महाकवि सूरदास, रसखान, मिर्जा गालिब, मीर तक़ी मीर, नज़ीर अकबराबादी से संबंधित प्रचलित वृतांत भी लोगों के सामने रखे जा सकते हैं. हबीब तनवीर द्वारा बाजारों, रिवायतों, शहरियों के मौज-मस्ती भरे मिजाज की जानकारी से ‘रूबरू‘ करवाने वाले ‘आगरा बाजार‘ नाटक का मंचन भी यहां की सड़कों पर बिखरी संस्कृति का परोक्ष परिचायक है. यहां की गलियों में रची बसी भाईचारा की यह संस्कृति आगरा की विशिष्ट पहचान है. पत्र में शासन से अनुरोध किया गया है कि वह सौहार्द्रता, सहिष्णुता भूल ही चुके दुनिया के अनेक देशों के भ्रमणार्थियों को इस शहर को जानने-समझने में मदद करे. ‘ताजमहल से इतर आगरा‘ अभियान की ओर से राजीव खंडेलवाल, आत्मीय इरम, विनय अम्बा, राजीव सक्सेना, अनिल शर्मा, असलम सलीमी, कांति नेगी आदि ने अपनी बात रखी.