देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में साहित्यकार सुरेश उनियाल द्वारा संपादित पुस्तक ‘मेरा कमरा‘ भाग-2 का विमोचन हुआ. इस पुस्तक में हिंदी के 17 श्रेष्ठ रचनाकारों के ‘कमरे‘ के इर्दगिर्द घूमती विचार शृंखला को अत्यंत रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है. इस अवसर पर पुस्तक के संपादक सुरेश उनियाल ने इन रचनाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के लिए किसी निश्चित विधा एवं मापदंड से इतर रचनाकार के ‘कमरे‘ को आधार बनाकर जीवन और साहित्य के विभिन्न पहलुओं को इन साहित्यकारों की नजर से यथार्थपरक ढंग से देखना मुख्य उद्देश्य था. पाठकों तक अपनी बात कितनी सफलता से हम पहुंचा पाए हैं, यह पाठकों की प्रतिक्रिया ही बताएगी. इन रचनाकारों की साफगोई पाठकों को अवश्य पसंद आएगी. विमोचन और परिचर्चा गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कथाकार सुभाष पंत ने कहा कि रचनाशीलता के लिए कमरे की परिकल्पना अद्भुत है. किसी भी रचनाकार के लिए वास्तव में विचार और परिकल्पना मुख्य है, जो सामाजिक यथार्थ और मूल्यबोधों से उत्पन्न होती है.
मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि यह अत्यंत रोचक और कमरे की कल्पना के चारों ओर बुनी गई कृति है, जो रचनाकारों के वास्तविक जीवन की सच्ची घटनाओं के संस्मरणात्मक दस्तावेज के रूप में सामने आती है. गोष्ठी में नवीन कुमार नैथानी, सुधारनी पांडेय, डाली डबराल, दिनेश जोशी, कृष्णा खुराना, विनोद रतूड़ी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि पुस्तक रोचक कथा के रूप में रचनाकारों के व्यक्तिगत जीवन और वैचारिक संघर्षों का प्रतिविंब सरीखी है. प्रकाशक काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल ने कहा कि इस पुस्तक के प्रथम भाग में 40 रचनाकारों के कथारूपी आलेखों को 2 वर्ष पूर्व प्रकाशित किया गया था. गोष्ठी का संचालन साहित्यिक संस्था ‘संवेदना‘ के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने किया. गोष्ठी में चंद्रशेखर तिवारी, गुरुदीप खुराना, कृष्णा खुराना, जितेन ठाकुर, जितेंद्र शर्मा, डाली डबराल, सुधा रानी पांडेय, विद्या सिंह, चंद्रनाथ मिश्रा, धीरेन्द्रनाथ तिवारी, मनमोहन चड्ढा, सतीश धौलाखंडी, विजय भट्ट, धर्मानंद लखेड़ा, कमलेश खंतवाल, बीना बेंजवाल और शशिभूषण बडोनी आदि उपस्थित थे.