जब एक आदिवासी भाषा मरती है, तो बहुमूल्य मौखिक इतिहास और स्वदेशी ज्ञान खो जाते हैं: प्रो बीके सरेन
कोलकाता: राष्ट्रीय जनजातीय शोध संस्थान और लुप्तप्राय भाषा केंद्र विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा शांति निकेतन के भाषा भवन में 'जनजातीय भाषाएं और भारतीय बहुभाषावाद का संरक्षण: नीति और व्यवहार' विषय पर [...]