नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी ने राजधानी स्थित मुख्यालय में ‘अस्मिता‘ नामक कार्यक्रम आयोजित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार चंद्रकांता ने की, जिसमें सुमति सक्सेना लाल, सुनीता एवं वंदना गुप्ता ने अपनी कहानियों का पाठ किया. सर्वप्रथम सुनीता ने अपनी कहानी ‘लेबर चौक‘ का पाठ किया. इस कहानी में शिक्षित से लेकर किसानों तक की बेरोजगारी का जिक्र किया गया था. लोकयथार्थ और लोकभाषा का सौंदर्य इस कहानी का विशेष पक्ष था. वंदना गुप्ता ने अपनी कहानी ‘राष्ट्रपति भवन के कंकड़‘ का पाठ किया. यह कहानी भूमि अधिग्रहण से उपजी समस्याओं पर केंद्रित थी. सुमति सक्सेना लाल ने अपनी कहानी ‘ऋणबद्ध‘ प्रस्तुत की, जिसमें संतान के अपने माता-पिता के प्रति कर्त्तव्यों की पृष्ठभूमि थी. लेकिन पुत्र का सवाल था कि माता-पिता के भी तो कुछ कर्तव्य होते हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ कथाकार चंद्रकांता ने भी कश्मीर से जुड़े विस्थापन के दर्द और वहां किसी दौर में चरम पर रहे आतंकवाद पर लिखी अपनी कहानी ‘आवाज‘ का पाठ किया. अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने कहा कि कई आलोचक जब आधे-अधूरे आकलन के बाद किसी लेखक या लेखिका को किसी खास घेरे में बांधकर फतवे जारी करते हैं तो वह मर्यादा के अनुकूल नहीं होता है. लेखन कार्य को किसी खास सांचे में नहीं ढाला जा सकता. वह स्वयं ही अपने परिवेश और अनुभवों से उत्पन्न होता है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राजधानी के लेखक एवं पत्रकार उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया.