रांचीः रांची की वरिष्ठ कवयित्री शैलप्रिया की स्मृति में स्त्री लेखन के लिए दिया जाने वाला सम्मान इस वर्ष रांची की लेखिका रश्मि शर्मा को दिया जाएगा. 1 दिसंबर, 1994 को 48 वर्ष की उम्र में दिवंगत हुई रांची की लेखिका और स्त्री-अधिकारों से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता शैलप्रिया की स्मृति में वर्ष 2013 से स्त्री लेखन के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है. झारखंड क्षेत्र और जनजातीय समाज के अनुभवों को प्राथमिकता में रखते हुए स्त्री लेखन का यह सम्मान अब तक निर्मला पुतुल, नीलेश रघुवंशी, अनिता रश्मि, अनिता वर्मा और वंदना टेटे को मिल चुका है. रश्मि शर्मा को यह सम्मान रांची में एक समारोह का आयोजन कर प्रदान किया जाएगा. कविता और गद्य में समान रूप से सक्रिय रश्मि शर्मा को इस सम्मान के लिए चुनते हुए निर्णायक मंडल के सदस्य अशोक प्रियदर्शी, महादेव टोप्पो और प्रियदर्शन ने अपनी संस्तुति इन शब्दों में दी.
पिछले कई वर्षों से अपनी निरंतर साहित्यिक सक्रियता से झारखंड की लेखिका रश्मि शर्मा ने हिंदी साहित्य संसार का ध्यान अपनी ओर खींचा है. उन्होंने कविताओं से शुरुआत की और फिर कहानियों की ओर मुड़ गईं. उनके तीन प्रकाशित काव्य संग्रहों 'नदी को सोचने दो', 'मन हुआ पलाश' और 'वक़्त की अलगनी पर' में उनकी समकालीन काव्य संवेदना को आसानी से पहचाना जा सकता है. उनकी काव्य भाषा में अपनी तरह की सहजता है जो उनको कथा की ओर भी ले जाने में सहायक है. उनकी कहानियां राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं. रूढ़ियों और परंपराओं के भंजन में अपनी तरह का योगदान करती ये कहानियां लगातार सराही गई हैं. हाल के वर्षों में उन्होंने रांची पर कुछ आलेख भी लिखे. उनकी कुछ रचनाओं में झारखंडी समाज और जीवन की झलक और इसे समझने की बेचैनी भी दिखाई पड़ती है. झारखंड की इस उभरती लेखिका को शैलप्रिया स्मृति सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा करते हुए शैलप्रिया स्मृति न्यास एक समृद्ध परंपरा के निर्वाह का अनुभव कर रहा है.'