नई दिल्ली: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन की शुरुआत की है. इस परियोजना के उद्देश्य और लक्ष्य बहुत व्यापक है, जो आज की पीढ़ी में अपनी माटी के प्रति लगाव पैदा करेगा. लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह जानकारी दी. इस योजना के लक्ष्य के बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी, जिसके मुताबिक, विकास एवं सांस्कृतिक पहचान के साथ सांस्कृतिक विरासत की ताकत और इसके बारे में जागरूकता पैदा करना; 6.5 लाख गांवों का उनके भौगोलिक, जनसांख्यिकीय प्रोफाइल और रचनात्मक राजधानियों के साथ सांस्कृतिक मानचित्रण; कलाकारों और कलाओं के राष्ट्रीय रजिस्टर का निर्माण तथा राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करने के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का विकास शामिल है.
मंत्री ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य भारत के उन सभी बसे हुए गांवों को शामिल करना है, जिन्हें भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा प्रकाशित जनगणना सूची, 2011 में ‘गांव’ के रूप में चिह्नित किया गया है. इस योजना में बिहार के सभी गांव शामिल हैं. इसलिए, बिहार के सभी गांवों को सांस्कृतिक मानचित्रण के तहत शामिल किया जाएगा. वर्तमान स्थिति के मुताबिक, अब तक बिहार के 45561 गांवों में से 36127 गांवों को कवर किया जा चुका है. इसके अलावा, खगड़िया जिले के संबंध में, आज की तिथि तक, 303 गांवों में से 262 गांवों को कवर किया जा चुका है. यह सभी जानकारी ‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ वेब पोर्टल पर उपलब्ध है, जिसे कोई भी खोलकर देख सकता है. इस वेब पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग किसी भी मंत्रालय और अन्य सरकारी संगठन द्वारा चिन्हित गांवों की संस्कृतियों, परंपराओं, कला रूपों आदि को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है.