भोपालः ज्ञानी होना संपूर्ण मानवजाति एवं उसके मस्तिष्क की अपार संभावनाओं की श्रेष्ठतम उपलब्धि है. आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी ऐसे ही ज्ञानी पुरुष थे. उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था. वे एक प्रिज्म की तरह से थे, जिस पर कहीं से भी प्रकाश पड़े, तो अनेक रंग बिखेरता है. वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जो देवताओं के आशीर्वाद के मालिक बन गये. ये विचार आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी के जन्मशताब्दी महोत्सव के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय, लखनऊ के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन ने प्रकट किए. गोकुल जनकल्याण समिति ने साहित्य अकादमी दिल्ली के सहयोग से राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल के भवभूति सभागार आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी जन्मशताब्दी महोत्सव का भव्य आयोजन किया था. इस अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत संस्कृत के वरिष्ठ आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी ने कहा कि आचार्य गोकुलप्रसाद द्विवेदी इस देश की एक आध्यात्मिक विभूति हैं. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व कुलपति तथा रचनाकार पंडित अभिराज राजेंद्र मिश्र ने उद्घाटन वक्तव्य में आचार्य गोकुलप्रसाद त्रिपाठी की संस्कृत कविताओं का विस्तार से परिचय दिया.

इस अवसर गोकुल जनकल्याण समिति की ओर से संस्कृत और फारसी में सर्जनात्मक और आलोचनात्मक अवदान के लिए आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी संस्कृत सम्मान युवा कवि पंडित बलराम शुक्ल को दिया गया. उद्घाटन सत्र के बाद चर्चा सत्र में समीक्षक प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह, डा धर्मेन्द्र कुमार सिंहदेव, डा. बलराम शुक्ल तथा मनोहर लाल शास्त्री ने आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की. प्रख्यात समीक्षक प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह ने आचार्य त्रिपाठी की हिंदी कविता के संदर्भ में उऩकी रचनाप्रक्रिया और कविमानस की गहरा विश्लेषण प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि वे एक संस्कृत के विद्वान् थे, पर कभी लोकजीवन की उपेक्षा नहीं की. उऩकी रचनाओं में भी लोकचित्त की छवियां हैं. डा बलराम शुक्ल ने आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी की उर्दू कविता का छंदःशास्त्रीय विवेचन किया. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल परिसर के प्राचार्य डा प्रकाश पांडेय सत्र की अध्यक्षता की. मनोहर लाल शास्त्री ने आचार्य त्रिपाठी के आध्यात्मिक व्यक्तित्व को रेखांकित किया. शताब्दी महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत मुंबई के उभरते संगीतकार चिन्मयी त्रिपाठी तथा श्यामक मुखर्जी और ध्रुवा संस्कृत बैंड के संचालक संजय द्विवेदी ने आचार्य गोकुल प्रसाद त्रिपाठी के गीतों और भजनों की संगीतमय प्रस्तुतियां दीं. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल परिसर के नाट्यशास्त्र अध्ययन  केंद्र की ओर से रमाकांत शुक्ल के लिखे संस्कृत नाटक 'अभिशापम्' का मनोहारी मंच किया गया. गोकुल जन कल्याण समिति शिक्षा, कला, संस्कृति और साहित्य के उन्नयन के लिए संकल्पित है.