भोपाल: संस्कृति बोधमाला आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति का बोध कराने वाली है. हमारा जीवन राष्ट्र समाज के काम आना चाहिए. यदि शिक्षा हमें दायित्व का बोध नहीं कराती है तो इसका कोई अर्थ नहीं है. यह बात मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कही. वे स्थानीय रवींद्र भवन के सभागार में ‘संस्कृति बोधमाला‘ पुस्तकों के विमोचन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. शुक्ल ने कहा कि विद्या भारती व्यक्ति निर्माण का कार्य करती है. यह एक लक्ष्य और उद्देश्य के साथ कार्य करते हुए त्याग, सेवा, समर्पण युक्त भावी पीढ़ी का निर्माण करती है. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की यह भविष्यवाणी पूरी होने जा रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि इक्कीसवीं सदी में भारत विश्व गुरु बनेगा. इसलिए हमें ज्यादा सजग और सतर्क होकर कार्य करने की आवश्यकता है. इस समय समाज के समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं. एक ओर विद्या भारती है जिसका प्रारंभ से ही उद्देश्य रहा है कि शिक्षा- संस्कार और अनुशासन के साथ होनी चाहिए. वहीं दूसरी ओर युवाओं को भटकाने वाले, उन्हें नशे और बुरी लतों की ओर ले जाने वाले लोग भी हैं. उन्होंने कहा कि संस्कृति बोध माला की यह पुस्तकें भारतीय संस्कृति एवं गौरवशाली इतिहास का सिंहावलोकन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. हमारे महापुरुषों के जीवन का अवलोकन करने पर पता चलता है कि वे कैसे चुनौतियों का सामना कर उन्हें दूर करते थे. हम सब मिलकर अपने रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाएं वही समाज के सामने उत्पन्न चुनौतियों का सामना कर उन्हें दूर कर सकें. भारत विश्वगुरु बनने के बिलकुल पास पहुंच गया है. हम सबके यह प्रयास सफल होंगे और आने वाली पीढ़ी अपने भारतीय ज्ञान परंपरा का लाभ लेगी.
विशिष्ट अतिथि पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री-स्वतंत्र प्रभार धर्मेन्द्र लोधी ने कहा कि संस्कृति बोध परियोजना एक अच्छी पहल है. इससे सरस्वती शिशु मंदिर ही नहीं इनके साथ ही अन्य विद्यालयों के विद्यार्थियों को भी संस्कृति का ज्ञान प्राप्त हो सकेगा. संस्कृति ज्ञान परीक्षा देश की 15 भाषाओं में आयोजित होती है और इसमें 25 लाख विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक सम्मिलित होते हैं. उन्होंने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति में प्रयास किया गया है कि देश की संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा का पर्याप्त ज्ञान विद्यार्थियों को हो सके. कहीं न कहीं अपनी संस्कृति को भूलने के कारण समाज में विसंगतियां पैदा हुई हैं. हमारा प्राचीन ज्ञान विज्ञान आज के ज्ञान विज्ञान से श्रेष्ठ हुआ करता था इस बात को हमारी युवा पीढ़ी को जानना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि संस्कृति बोधमाला की पुस्तकों में भारतीय ज्ञान परंपरा का वर्णन है यह पुस्तक है न केवल विद्यार्थी बल्कि, आम जनता के लिए भी उपलब्ध हों ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए. हमें अपनी नई पीढ़ी के लिए अपना गौरवशाली इतिहास बताने की बहुत अधिक आवश्यकता है यह बोधमाला आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करने का कार्य करेगी. याद रहे कि विद्या भारती की संस्कृति बोध परियोजना के अंतर्गत प्रति वर्ष संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन विद्या भारती द्वारा किया जाता है. इन परीक्षाओं का आधार संस्कृति बोधमाला पुस्तकों के द्वारा होता है. विमोचन कार्यक्रम में कक्षा तीन से लेकर कक्षा 12वीं तक की 10 पुस्तकों का विमोचन किया गया. इनमें कक्षा और विद्यार्थी के अनुसार संस्कृति, इतिहास, भारतीय ज्ञान परंपरा, महापुरुषों, धर्म अध्यात्म आदि का वर्णन रहता है.
आरंभ में कार्यक्रम की भूमिका सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के प्रांत सचिव शिरोमणि दुबे ने रखी और संस्कृति बोध परियोजना के विषय में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप संस्कृति बोधमाला की पुस्तकों का पुनर्लेखन किया गया है. अध्यक्षता कर रहे विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के उपाध्यक्ष डा रविन्द्र कान्हेरे ने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात ही मनीषियों के ध्यान में यह बात आ गई थी कि तत्कालीन शिक्षा में सामाजिक मूल्य और सांस्कृतिक बोध नहीं था. वह केवल नौकरी पाने के लिए शिक्षा थी. इसे ध्यान में रखते हुए सरस्वती शिशु मंदिर प्रारंभ किए गए. तभी से यह यात्रा जारी है और आज देश भर में विद्या भारती के विद्यालय हैं. इनमें 30 लाख भैया-बहन अध्ययन कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य है कि ऐसे विद्यार्थी समाज में पहुंचें, जो देश प्रेम, जीवन मूल्य, राष्ट्र के प्रति समर्पित हों. उन्होंने कहा कि संस्कृति बोध परियोजना में हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए इन पुस्तकों का पुनर्लेखन किया है. भारत केंद्रित शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा को समाज के बीच लेकर जाना है. यह एक सांस्कृतिक क्रांति है इसमें समय लगेगा. भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने के लिए मध्य प्रदेश में महाविद्यालय स्तर पर भी कार्य हो रहे हैं. भारतीय ज्ञान परंपरा को स्नातक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जा रहा है. इसके लिए पुस्तकों के पुनर्लेखन का कार्य किया जा रहा है. शिक्षा नीति में कौशल का विकास कर हमारे युवा नौकरी करने वाले नहीं बल्कि, नौकरी देने वाले बनें ऐसे प्रयास समाज में हर क्षेत्र में होने चाहिए. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघ चालक अशोक पांडेय, विद्या भारती मध्य क्षेत्र के क्षेत्र संगठन मंत्री भालचंद्र रावले, मध्य भारत प्रांत संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी और सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान में अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता भी मंच पर मौजूद थे. अंत में आभार विद्या भारती ग्रामीण शिक्षा के प्रांत प्रमुख चंद्रहंस पाठक ने व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन पूर्व छात्रा पूजा उदासी ने किया.