– गेयटी में हुआ साहित्योत्सव ‘जश्न-ए-अदब सांस्कृतिक कारवां-ए-विरासत
– ‘पहाड़ों में गूंजते लफ्ज’ सत्र में इरशाद कामिल से प्रार्थना ने की चर्चा

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के शुष्क व ठंडे मौसम में शनिवार शाम को शास्त्रीय संगीत, गजल व कव्वाली ने गर्माहट ला दी। अवसर था गेयटी थियेटर में साहित्योत्सव ‘जश्न-ए-अदब सांस्कृतिक कारवां-ए-विरासत-2022″ का। ‘गुनगुनाती हुई शाम’ सत्र में गायिका विद्या शाह ने गजल और शास्त्रीय गायन से दर्शकों को एक ही जगह बैठने पर विवश कर दिया। उन्होंने गजलों के माध्यम से दर्शकों से संवाद किया। विद्या शाह दिल्ली की रहने वाली हैं और शुरुआत में दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने 12 साल की उम्र में संगीत की दुनिया में अपनी यात्रा शुरू की थी। वह देश के अलावा विदेश में भी प्रस्तुति दे चुकी हैं।

वहीं, नृत्यांगना व कोरियोग्राफर विधा लाल और उनके समूह ने कथक का प्रदर्शन किया। विधा लाल भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की पैनलबद्ध कलाकार हैं। कार्यक्रम का समापन रईस अनीस साबरी की ओर से महफिल-ए-कव्वाली के साथ हुआ। साहित्योत्सव में कवियों मुकेश आलम, विकास शर्मा राज, इस्माइल राज, आशु मिश्रा, अनास फैजी और रंजन निगम ने रचनाएं पेश की। परिचर्चा सत्र ‘पहाड़ों में गूंजते लफ्ज’ में गीतकार और कवि इरशाद कामिल ने हिमाचल के लेखक प्रार्थना गहिलोत के साथ चर्चा की। कवि व ‘जश्न-ए-अदब’ फाउंडेशन के संस्थापक कुंवर रंजीत चौहान ने कहा कि यह कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है। उन्होंने कहा कि महान कलाकार से संवाद करना हमारे लिए सम्मान की बात है।

दो दिन चले कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, हिमाचल सरकार और भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग हिमाचल ने किया। पहले दिन कवि व लेखक पद्मश्री प्रो. अशोक चक्रधर ने हिंदुस्तानी परंपरा “अदब न हो तो” पर चर्चा की थी। वहीं, अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने भी लोगों से संवाद किया। इस दौरान कथक, गजल, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन, कव्वाली, किस्सागोई, नाटक, कवि सम्मेलन और मुशायरा हुआ।