नई दिल्ली: इसरो और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्षअंतरिक्ष विभाग के सचिव और प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डा एस सोमनाथ ने आकाशवाणी की ओर से नई दिल्ली के रंग भवन में आयोजित प्रतिष्ठित सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान 2024 में ‘इंडियन स्पेस ओडिसी: इन सर्च आफ न्यू फ्रंटियर्स‘ यानी ‘भारतीय अंतरिक्ष यात्रा: नई सीमाओं की तलाश‘ विषय पर व्याख्यान दिया. डा सोमनाथ ने चंद्रमा पर एक भारतीय के उतरने के मिशन पर को रेखांकित करते हुए भारत के अंतरिक्ष विजन 2047 पर अंतर्दृष्टि दी. उन्होंने चंद्रमा की खोज के लिए लान्चिंग बिंदु के रूप में भारतीय अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन की संकल्पना पेश की और दोबारा इस्तेमाल योग्य राकेट के विकास के बारे में विस्तार से बात की. डा सोमनाथ ने लैंडर तकनीकी में इसरो के महत्वपूर्ण सुधारों पर जोर दिया और भविष्य में खोज के लिए लक्ष्य साझा किएजिसमें चंद्रमा और मंगल पर सफल मिशन के बाद शुक्र की कक्षासतह और उपसतह का अध्ययन करने का मिशन भी शामिल है. इसरो अध्यक्ष ने ‘राष्ट्र के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग‘ के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर भारत को कई देशों से आगे ले जाने के लिए निर्धारित महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला. इसरो देश की अनुप्रयोग आवश्यकताएं जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रबंधनउपग्रह संचार और नेविगेशन को को पूरा करने के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में युवा दिमागों को प्रेरित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है. बीते कुछ सालों मेंइसरो ने उपग्रहों के निर्माणअंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों और संबंधित जमीनी क्षेत्रों से संबंधित स्वदेशी क्षमताएं विकसित की हैं.

इसरो अध्यक्ष डा सोमनाथ ने मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की अदम्य भावना और प्रतिबद्धता के प्रमाण के तौर पर स्पेस के स्तर पर भारत की यात्रा की सराहना की. डा सोमनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक ऐसी दुनिया को प्रेरित करने के साथ आकार देता रहेगाजहां अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक सुरक्षित और बेहतर ग्रह की ओर प्रोत्साहन देती है. 600 से अधिक संस्थानों के छात्रों के लिएव्याख्यान में भाग लेना जीवन में एक बार होने जैसा अनुभव थाजिससे उन्हें अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी उद्यमों के लिए खोलने से जुड़ी विभिन्न सरकारी पहलों के बारे में प्रतिष्ठित वैज्ञानिक से सीधे सुनने का मौका मिला. व्याख्यान की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के एक विशेष रिकार्डेड संदेश से हुईजिसमें उन्होंने सरदार पटेल के विशाल व्यक्तित्व और भारत के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की. राष्ट्रपति ने 1955 से एक राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में आकाशवाणी के योगदान और सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर सीरीज के प्रति उसकी निष्ठा को भी स्वीकार किया. यह वार्षिक आख्यान शृंखला भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती का उत्सव मनाती हैजो 1955 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के उद्घाटन भाषण के साथ शुरू हुई थी. इस कार्यक्रम में प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदीअध्यक्ष नवनीत सहगल और आकाशवाणी की महानिदेशक डा प्रज्ञा पालीवाल गौड़ उपस्थित रहे.