रायपुर: छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान के नेतृत्व में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस दौरान अतिथि रचनाकारों ने अपनी रचनाएं सुनाने के साथ ही देशभर में हिंदी भाषा को महत्त्व दिए जाने की मांग की. कवियों ने छत्तीसगढ़ में हिंदी भवन बनाए जाने पर जोर दिया, ताकि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन हो सके. काव्य पाठ एवं हिंदी भाषा पर आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं राज्य विधान सभा के प्रथम प्रतिपक्ष नेता डा नंदकुमार साय रहे. आयोजन में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान के संरक्षक दूधाधारी मठ के महंत डॉ रामसुंदर दास, विशिष्ट अतिथि डॉ सोनल शर्मा, राष्ट्रीय कवि संगम छत्तीसगढ़ की महामंत्री कवयित्री उर्मिला देवी 'उर्मि' की प्रमुख रूप से उपस्थिति थी. अध्यक्षता छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान के अध्यक्ष डॉ उदय भान सिंह चौहान ने की. साहित्य प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर दिया. आशा आजाद कृति ने राष्ट्रगीत वंदन और सुधा देवांगन ने सरस्वती वंदना की.
कार्यक्रम में कवयित्री उर्मिला देवी 'उर्मि' ने स्वामी विवेकानंद की महिमा में सुनाया- 'जय-जय धीर-वीर संन्यासी/ जय जय विवेकानंद, विश्व हितैषी/ विश्वोद्धारक विश्ववंद्य, मार्ग दिखाया जिससे/ सबको, मिले सदा आनंद.' आशा आजाद 'कृति' ने हिंदी की महिमा यों बखानी- 'हिंदुस्तान की सुंदृ भाषा, हिंदी सबकी शान है/ सकल जगत में मान देख लो, यह अपन अभिमान है.' सुधा देवांगन की कविता थी- 'हिंदी अपनी आन है, हिंदी अपनी मान है/ हिंदी से ये हिंद है, हिंदी ही पहचान है.' तो धनेश्वरी देवांगन 'धरा' ने सुनाया- 'नव काव्य नित सोहे, रस छंद मन मोहे/ साहित्य की शोभा बढ़े, हिन्दी अपनाइए.' सुकमोती चौहान 'रुचि' की कविता के बोल थे- 'दुल्हन की बिंदी जैसी, लगे मातृभाषा हिंदी/ जन जन की वाणी ये, भारत की शान है.' कार्यक्रम निर्धारित समय से देर तक चला और श्रोता, दर्शक आभासी होने के बावजूद कार्यक्रम में पूरे समय बने रहे.