मैसूर: दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत और महलों की नगरी मैसूर शहर के स्वशासित सेंट फिलोमेना महाविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि और लेखक नन्द सारस्वत 'नंद' विशिष्ट अतिथि डीआरडीओ के वरिष्ठ भाषा अनुवादक जीआर चौधरी थे. कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इस अवसर पर महाविद्यालय में हिंदी के पठन पाठन और विभिन्न स्तर पर पाठ्यम प्रारम्भ कर परीक्षाएं आयोजित करने हेतु केंद्रीय हिंदी संस्थान के सहयोग से फिलो हिंदी क्लब का गठन किया गया है. महाविद्यालय में हिंदी की विभागाध्यक्ष पूर्णिमा उमेश का कहना था कि पाठ्यक्रम के अतिरिक्त क्लब के तत्वावधान में समय-समय पर साहित्यकारों का सम्मान और हिंदी के सर्वांगीण विकास और उन्नति के लिए संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के फादर ने अतिथियों का सम्मान किया. महाविद्यालय के प्रबंधक, शिक्षकों और छात्रों ने पूरे कार्यक्रम को अपने आप में अनूठा बताया और भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए आगंतुकों को समय-समय पर अपनी सेवा देने के लिए आग्रह किया.

 

इस अवसर पर सारस्वत ने कहा कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो अन्य भारतीय भाषाओं में समन्वय स्थापित कर पूरे देश को भाषाई रुप से जोड़ कर रखे हुए है, इसलिए विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर हिंदी को पढ़ाने से भावी पीढ़ी के लिए रोजगार और उन्नति के नये द्वार खुलेंगे. सारस्वत ने अपने काव्य कौशल से कविताओंं और मुक्तकों से उपस्थित जन समुदाय का मन मोहते हुए कामना की कि फिलो हिंदी क्लब न केवल कर्नाटक बल्कि संपूर्ण भारत में अपनी पहचान बनाए और अहिंदी भाषी क्षेत्र के लिए एक अनुकरणीय संस्थान बने. सारस्वत ने क्लब के ग्रंथालय के लिए विभिन्न विषयों पर हिंदी की 41 चुनिंदा पुस्तकें भी प्रदान कीं. तत्पश्चात जीआर चौधरी ने हिंदी के इतिहास, विकास, उन्नति और हिंदी की रोजगार में उपयोगिता पर एक कार्यशाला का फिल्मांकन के माध्यम से प्रदर्शन किया. इस अवसर पर शहर के साहित्यकार और लेखक श्रीलाल जोशी और अमीता सक्सेना की विशेष उपस्थिति रही. पूर्णिमा उमेश ने आभार व्यक्त किया.