गाजियाबादः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, राष्ट्रीय स्वाभिमान न्यास और भागीरथ सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में भागीरथ पब्लिक स्कूल गाजियाबाद में 29वें अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर 'भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी की भूमिका' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के बाद दीप प्रज्वलित कर किया गया. लेखिका डॉ मृणाल शर्मा ने संगोष्ठी विषय पर अपनी बात रखी कि भाषा जितनी सरल होगी, उतनी प्रभावशाली होगी. स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए जो आंदोलन हुए, प्रारंभ में वे संगठित नहीं थे, उन्हें संगठित करने, जोड़ने का काम हिंदी भाषा ने किया. उस दौरान ब्रह्म समाज, आर्य समाज समेत कई विश्वविद्यालयों ने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दिया. बाल गंगाधर तिलक ने हिंदी में भाषण देने की परंपरा को स्थापित किया. डॉ लल्लन प्रसाद ने तीन बिंदुओं पर अपने विचार रखे- पहला, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अहिंदी भाषियों ने आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए हिंदी का उपयोग. दूसरा, हिंदी पत्रकारिता का उदय. तीसरा, हिंदी काव्य इसी काल में सशक्त बना. फिर चाहे वह मंगल पांडे, महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस के नारे हों या उस दौरान रचित कविताएं-गीत, सभी की रचना हिंदी में हुई.
डॉ योगेंद्रनाथ शर्मा का कहना था कि जब तक हम किशोरी दास वाजपेयी जैसे नींव के पत्थरों को याद नहीं रखेंगे तब तक हम इतिहास को याद नहीं रख पाएंगे. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हिंदी भाषा का उपयोग कर जो महत्त्वपूर्ण काम गैर हिंदी भाषी लोगों ने किया, वह हिंदी भाषी नहीं कर पाए. इसलिए हमें उस काल के अपने नींव के पत्थरों को याद रखना चाहिए. डॉ गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि हिंदी का स्वभाव ही ऐसा है कि हर कोई इससे जुड़ जाता है. इसका व्यापक क्षेत्र है, यह लोक से जुड़ी भाषा है. गोस्वामी तुलसीदास, कबीरदास ने भी अपने साहित्य में हिंदी को चुना और स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारी कवियों की कविताएं-गीत भी हिंदी में ही थे. इसका एक ही कारण है कि हिंदी में संवाद करने की क्षमता है. इस भूमिका ने उसे स्वतंत्रता आंदोलन का वाहक बनाया. मंच से राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की दो पुस्तकों 'आकाश में मुकदमा' और 'बरफ का देश अंटार्कटिका' का भी विमोचन भी किया गया. कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के हिंदी के सहायक संपादक पंकज चतुर्वेदी ने किया.