खंडवा: डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय व वनमाली सृजन पीठ के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पंडित माखनलाल चतुर्वेदी पर लिखी डॉ मंगलेश्वरी जोशी की पुस्तक 'भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका' और डॉ संदीप भट्ट की पुस्तक 'गांधी- संचार, संवाद और संदेश' का विमोचन संपन्न हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ चिन्मय मिश्र थे, अध्यक्षता डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण आर जोशी ने की. विश्वविद्यालय के कुलसचिव रवि चतुर्वेदी ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि हम साहित्य के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहे हैं. इसी परंपरा में निमाड़ कला एवं साहित्य सृजन पीठ की स्थापना की गई है. साहित्य एवं पुस्तकों से युवा पीढ़ी और जनमानस को जोड़ने के लिये विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है. आज का विद्यार्थी पुस्तकों से दूर होता जा रहा है. पुस्तक समीक्षा के क्रम में मुख्य अतिथि डॉ चिन्मय जोशी ने गांधीजी के दर्शन की प्रासंगिकता एवं इन पुस्तकों के लेखन को शुभ संयोग बताया. उन्होंने इंटरनेट मीडिया के अनियंत्रित प्रसार के खतरे के बीच पुस्तकों को संवाद का शाश्वत माध्यम बताया.
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति जोशी ने इस तरह के समाज और देश से जुड़े विषयों पर पुस्तक लेखन के लिए लेखकों को बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी बदलते वक्त के साथ और भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं. भारत को गांधीजी के दर्शन से ही जीना होगा अन्यथा हम भयानक विभीषिका से घिर जाएंगे. उन्होंने गांधीजी के चैतन्य ग्राम और ग्राम स्वराज की परिकल्पना को आवश्यक बताया. व्यंग्यकार कैलाश मंडलेकर ने इन पुस्तकों की महत्ता की पृष्ठभूमि में 'गांधी की प्रासंगिकता एवं गांधी संवाद' पुस्तक की प्रशंसा की. डॉ शहजाद कुरैशी ने डॉ मंगलेश्वरी जोशी की पुस्तक को पूर्वी निमाड़ में स्वतंत्रता संग्राम पर शोध प्रबंध की संज्ञा दी. वरिष्ठ साहित्यकार व ललित निबंधकार डॉ श्रीराम परिहार ने समीक्षक की भूमिका में लेखन की निरंतरता के लिए प्रेरित किया. पुस्तकों को पठनीय बताते हुए कुछ संशोधनों की आवश्यकता बताई. इस दौरान डॉ मोरेश्वर राव मंडलोई, शरद जैन, लुकमान मसूद, गोविंद शर्मा व अन्य सदस्य मौजूद थे