इंदौरः कोरोना की मार का दंश रंगमंच पर भी पड़ा है, पर कई संस्थाएं सोशल मीडिया पर अभिनय के खूबसूरत प्रयोग कर रही हैं. स्थानीय संस्था 'सूत्रधार' प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली एकल नाट्य स्पर्धा को इस वर्ष ऑनलाइन कर दिया है और वाट्सऐप और फेसबुक के जरिए दर्शकों तक पहुंच रही है. 10 दिनी इस स्पर्धा में लियो टॉल्स्टॉय, अदम गोंडवी, रामधारी सिंह दिनकर, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, कथाकार भुवनेश्वर आदि की रचनाओं पर आधारित नाटक शामिल हैं. अतीत के साहित्य से लेकर वर्तमान की सत्यता का प्रतिबिंब इन नाटकों में देखने को मिल रहा है. जिसमें शहर के अलावा देश के विभिन्न स्थानों और विदेशों के रंगकर्मी भी भाग रहे हैं. इंदौर के रंगरूपिया थियेटर, पथिक थियेटर, रायपुर के जुगनू थियेटर, राजनांदगांव के सृजन रंग यात्रा समूह और मुंबई की हिमिका सिंह ने अपनी प्रस्तुतियों में कई गंभीर मुद्दों को उठाया. इन चार प्रस्तुतियों की भांति कोरोना पर आधारित एकांकी का मंचन अनेरी पोद्दार के जिम्मे रखा गया है. इसके अलावा महिला उत्पीड़न, कश्मीर में आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी उठाया गया है.  

'सूत्रधार' ने इस 10 दिनी एकल नाट्य स्पर्धा की तैयारियां पहले से की थीं, जिसमें वीडियो प्रस्तुति के द्वारा एकल नाट्य प्रतियोगिता आयोजित की गई है. संस्था को दुनियाभर के रंगकर्मियों से कुल 47 एकल नाट्य प्राप्त हुए हैं. ये एकल नाट्य दुबई, सिंगापुर, मुम्बई, दिल्ली, वाराणसी, रायपुर, जबलपुर, सतना, राजनादगांव व इंदौर के रंगकर्मियों ने भेजे हैं. रंगरूपिया थियेटर के अनुराग मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति 'सन्नाटा' के माध्यम से वृद्धाश्रम में अकेला जीवन व्यतीत कर रहे वृद्घ की व्यथा बताई तो साथ ही स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया की चकाचौंध में गुम होती संवेदनाओं को भी दर्शाया. राजनांदगांव के नीरज उके ने अपनी प्रस्तुति से संदेश दिया कि हमें परमपिता और उनकी सत्ता को नहीं भूलना चाहिए अन्यथा इसके दुष्परिणाम हमें ही भोगने होंगे. पथिक थियेटर के नंदकिशोर बर्वे ने शरद जोशी का व्यंग्य 'एक था गधा' उर्फ अलादाद खां का बड़ी खूबसूरती से मंचन किया.